उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 2014 के चुनावी हलफनामे की सुनवाई टली, अगली हियरिंग 8 सितंबर को
नागपुर: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, यह पता चला है कि उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस के 2014 के चुनावी हलफनामे में पिछले दो कानूनी मुद्दों का उल्लेख नहीं किया गया था। परिणामस्वरूप, इस मामले की अदालती सुनवाई 8 सितंबर को निर्धारित की गई है, पहले 5 सितंबर को निर्धारित सुनवाई स्थगित कर दी गई थी। ये आरोप 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान फड़णवीस के चुनावी हलफनामे से दो विशिष्ट आपराधिक मामलों को लेकर हैं।
नगरसेवक होने दौरान हुआ मानहानि का केस
कॉर्पोरेटर के तौर पर फडणवीस ने एक सरकारी वकील के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी और एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वकील को एक मामले से हटाने की मांग की थी। जवाब में, वकील ने फडणवीस के खिलाफ ‘आपराधिक मानहानि’ का मामला दायर किया था। इसके बाद, वकील ने मामला वापस ले लिया, जिससे इस यह कानूनी मुद्दे खत्म हो गया।
दूसरे मामले में नगरसेवक होते हुए फडणवीस ने विशिष्ट स्थल पर स्थित झुग्गी बस्ती पर संपत्ति कर लगाने की वकालत की थी। नगरपालिका अधिकारियों ने उनकी सिफ़ारिश के अनुसार काम करते हुए झुग्गी बस्ती पर संपत्ति कर लगा दिया। इस पर एक निजी शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि भूमि निजी स्वामित्व में थी। आख़िरकार हाई कोर्ट ने इस शिकायत को ख़ारिज कर दिया और मामले का निपटारा फड़णवीस के पक्ष में रहा।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 2014 के चुनावी हलफनामे से इन दो आपराधिक मामलों को हटा दिए जाने से एक कानूनी विवाद पैदा हो गया है, जिस पर अब फैसला लंबित है। मूल रूप से आज होने वाली सुनवाई को 8 सितंबर के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है।
यह मामला चुनावी हलफनामों में पारदर्शिता और सटीकता के महत्व के साथ-साथ सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा कानूनी अनुपालन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। अदालत का आने वाला फैसला इस मामले के नतीजे और फड़णवीस के राजनीतिक करियर पर इसके संभावित प्रभाव पर प्रकाश डालेगा।
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