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डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड हिंदू आतंकवाद का झूठा आख्यान गढ़ने की एक साजिश, मामले में बरी विक्रम भावे ने किया दावा


नागपुर: अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के दिवंगत संस्थापक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में बरी हुए विक्रम भावे ने अपनी किताब में सनसनीखेज दावा किया है कि नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच हिंदू आतंकवाद का झूठा आख्यान गढ़ने की साजिश थी। भावे ने यह भी संदेह जताया है कि हत्या की जांच के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी किसी हिंदू विरोधी ताकत के निर्देश पर काम कर रहे थे। डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या में विक्रम भावे को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने 'दाभोलकर मर्डर एंड मी' किताब लिखी। किताब के विमोचन से पहले यूसीएन न्यूज़ से बात की और किताब में जो बातें लिखी है उसपर चर्चा की। 

विक्रम भावे ने कहा कि नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच हिंदू आतंकवाद का झूठा आख्यान गढ़ने की साजिश थी। इस मामले की जांच चल रही थी, तभी हमें संदेह हुआ कि सीबीआई अधिकारी किसी हिंदू विरोधी ताकत के इशारे पर काम कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "आमतौर पर सीबीआई प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन काम करती है। लेकिन क्या उस समय सीबीआई पर पीएमओ के बजाय हिंदू विरोधी ताकतों का नियंत्रण था? संदेह था।" 

भावे ने आगे कहा, "सीबीआई ने एक कहानी गढ़ी कि दाभोलकर हत्याकांड में इस्तेमाल की गई पिस्तौल को ठाणे की खाड़ी में फेंक दिया गया और नष्ट कर दिया गया। इसके बाद, सीबीआई अधिकारियों ने खाड़ी से पिस्तौल बरामद करने के लिए 7.80 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके लिए नॉर्वे से विशेष गोताखोर बुलाए गए। दुबई की एक कंपनी को ठेका दिया गया। लेकिन उसके बाद भी पिस्तौल जब्त नहीं की जा सकी। इस संबंध में सीबीआई अदालत के सामने एक भी सबूत पेश नहीं कर सकी।"

सीबीआई मोबाइल नंबर का सीडीआर नहीं दे सकी

विक्रम भावे ने आगे कहा, " सीबीआई ने मुझ पर दाभोलकर हत्याकांड में शूटरों को पुणे में रेकी करने में मदद करने का आरोप लगाया था। दावा किया गया कि इसके लिए इस्तेमाल किए गए दो मोबाइल नंबर मेरे इस्तेमाल में थे। लेकिन इस बारे में कोई ठोस सबूत नहीं मिला, उस नंबर की सीडीआर सीबीआई अधिकारियों के सामने कोर्ट में पेश नहीं की जा सकी।

देश में हिंदू विरोधी, हिंदू विरोधी साजिश

भावे ने कहा, "क्या इस देश में हिंदुत्व समर्थक होना कोई अपराध है? मुझे ऐसा लगा। हिंदुत्व समर्थक होने की वजह से मुझे और मेरे परिवार को इस मामले में बहुत कुछ सहना पड़ा। तब भी हिंदू विरोधी और हिंदू विरोधी साजिशें रची गईं और अब भी रची जा रही हैं। यह किताब इसलिए लिखी गई है ताकि देश के आम हिंदू यह जान सकें।"