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महामंडलों को लेकर महायुति में फार्मूला हुआ तय; भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को मिलेंगे इतने पद; पढ़े पूरी खबर


नागपुर: राज्य में जल्द ही महानगर पालिका, जिला परिषद् सहित स्थानीय निकाय चुनाव के चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के पहले सभी दल खुद को मजबूत करने और तैयारियों को धार देने में लगे हुए हैं। इसी बीच महायुति में निकाय चुनाव के पहले बड़ी परेशानी को हल कर लिया है। दरअसल।  महायुति में महामंडलों को किसको कितने पद मिलेंगे इसको लेकर आम सहमति बन गई है। इसी के साथ पदों के आवंटन को लेकर फार्मूला भी तय कर लिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, महायुति सरकार की अगुवाई करने वाली भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक 48 प्रतिशत पद मिलेंगे। वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 29 प्रतिशत और अजित पवार की एनसीपी  23 प्रतिशत पदों पर अपने लोगों को नियुक्त करेगी। हालांकि, अभी यह तय नहीं हुआ है किसके हिस्से में कौन सा-महामण्डल आएगा।

स्थानीय निकाय चुनाव की पृष्ठभूमि में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को महत्व देने के लिए महागठबंधन में निगमों के आवंटन का फार्मूला तय किया गया है। सूत्रों ने बताया है कि इसके लिए निगमों को भी ए-बी-के के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इसके अनुसार, तीनों दलों को मिलने वाले निगमों का वितरण किया जाएगा। इस हिसाब से, चूंकि भाजपा के पास सबसे अधिक विधायक हैं, इसलिए 48 प्रतिशत पद भाजपा को मिलेंगे। दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे की शिवसेना पार्टी दूसरे सबसे अधिक विधायकों वाली पार्टी बनकर उभरी है और उसे 29 प्रतिशत पद मिलेंगे। हालांकि, अजित पवार की पार्टी एनसीपी को 23 फीसदी पदों से ही संतोष करना पड़ेगा।

कई विधायक, पूर्व विधायक महामण्डल में नियुक्ति के लिए आतुर

राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से ही तीनों दलों के बीच सत्ता बंटवारे को लेकर कई दिनों से चर्चा चल रही है। पहले मंत्रिमंडल विस्तार में देरी, फिर विभागों के बंटवारे में देरी और फिर पालकमंत्री पद को लेकर विवाद अभी तक खत्म नहीं हुआ है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि अब महामंडल के बंटवारे का फार्मूला तय हो गया है। इसके अनुसार अब निगम का बंटवारा होगा। भाजपा के कई विधायक, पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता व पदाधिकारी निगम में नियुक्ति के लिए आतुर हैं। इसलिए अब किसका रास्ता अपनाया जाएगा, कौन सा निगम आएगा? इस पर सभी की नजर है।

जल्द से जल्द बंटवारा पूरा किया जाएगा

आगामी स्थानीय निकाय चुनाव के मद्देनजर महामण्डल का बंटवारा अहम माना जा रहा है। सत्तारूढ़ पार्टी महामंडलों के जरिए स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इसलिए उम्मीद है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर महामण्डल का बंटवारा जल्द से जल्द पूरा हो जाएगा। इससे चुनावों में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को फायदा मिल सकता है।