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Nagpur

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी खोई जमीन वापस पाई, भाजपा की बढ़ी मुश्किलें; अब विधानसभा के लिए क्या रणनीति?


नागपुर: लोकसभा चुनाव के नतीजों ने आगामी विधानसभा चुनाव की बिसात बिछा दी है। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने अपनी खोई हुई जमीन एक बार फिर वापिस पा ली है। 2024 के आम चुनाव में भाजपा ने जहां अपने सहयोगी शिवसेना के साथ मिलकर विदर्भ की 10 सीटों में से मात्र तीन सीट जीत पाई, वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी को सात सीटों पर जीत मिली है। जिसमें हाईप्रोफ़ाइल चंद्रपुर और अमरावती लोकसभा भी शामिल है। वहीं नागपुर जिले की 12 विधानसभा सीटों मेसे सात सीटों पर भाजपा या कहें महायुति पीछे रही। लोकसभा चुनाव में जिस तरह के परिणाम सामने आएं हैं, उसने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है। आने वाले तीन-चार महीने में विधानसभा का चुनाव होने वाला है, अपनी खोई जमीन को वापस लेने के लिए भाजपा क्या कदम उठाते हैं इस पर सभी का ध्यान लगा हुआ है। 

विदर्भ की 10 लोकसभा सीटों पर 19 और 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। वहीं चार जून के परिणाम सामने आएं। जिसमें महायुति नागपुर, अकोला और बुलढाणा लोकसभा सीट जीत सकी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को छोड़ दें तो अकोला और बुलढाणा लोकसभा सीट को भाजपा 50 हजार से कम वोटों से जीती है। वहीं महाविकास अघाड़ी को सात चंद्रपुर, रामटेक, अमरावती, यवतमाल-वाशिम, गोंदिया-भंडारा, वर्धा और गडचिरोली शामिल है। अमरावती और गोंदिया-भंडारा को छोड़ दें तो महाविकास अघाड़ी बची पांच सीट लाखों के मरीजन से जीती है।

नागपुर की सात विधानसभा सीट पर भाजपा पिछड़ी 
नागपुर को भाजपा का गढ़ माना जाता है। संघ मुख्यालय सहित केंद्र के कद्दावर मंत्री गडकरी और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों यही से हैं। नागपुर जिले में दो लोकसभा सीटें नागपुर और रामटेक आती है। रामटेक लोकसभा सीट पर छह विधानसभा जिसमें रामटेक, कामठी, उमरेड, हिंगना, सावनेर और काटोल शामिल है। महायुति के उम्मीदवार राजू पारवे इन सभी सीटों पर आगे रहे। सबसे महत्वपूर्ण यह कि, कामठी और हिंगना में भाजपा का विधायक हैं। 

वहीं नागपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भले ही नितिन गडकरी को जीत हासिल हुई है। लेकिन 2019 के मुकाबले 2024 में मिले वोटों में 80 हजार वोट कम मिले। सबसे महत्वपूर्ण भाजपा के गढ़ माने जाने वाले पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण और पश्चिम विधानसभा सीट पर 2019 के मुकबले कम वोट मिले। वहीं उत्तर और मध्य नागपुर विधानसभा सीट पर गडकरी कांग्रेस उम्मीदवार विकास ठाकरे के मुकाबले पीछे रहे। 

2014 में 11 तो 2019 में छह सीट मिली 
2014 में भाजपा ने नागपुर जिले की 12 विधानसभा सीट में से 11 पर जीत हासिल की थी, जिसमें रामटेक लोकसभा सीट भी शामिल थी। जहां गठबंधन के तौर पर शिवसेना जीतती हुई आती थी। इसी के साथ भाजपा ने जिला परिषद, जिला पंचायत सहित नागपुर मनपा चुनाव में रिकॉर्ड बनाते हुए जीत हासिल की थी। हालांकि, 2019 के चुनाव में भाजपा को जिले में झटका लगा और वह 11 सीटों से घटकर छह सीटों पर आ गई। इसके बाद जिले में जितने भी चुनाव हुए उसमें भाजपा को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा फटका उसे ग्रामीण नागपुर से मिल रहा है। 

कांग्रेस ने खोई जमीन वापस पाई!
2019 से भाजपा का डाउन फॉल शुरू हुआ है वह लगातार जारी है। पहले जिला परिषद्, जिला पंचायत में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके  बाद हुए विधान परिषद् चुनाव में भी भाजपा हार गई। नागपुर विभाग की स्नातक सीट जिसपर बीते 55 साल से भाजपा का कब्ज़ा था उस सीट पर भी उसे हर का सामना करना पड़ा। इसी के साथ शिक्षाक सीट पर भी उसे हार मिली। वहीं अब लोकसभा चुनाव में उसे बड़ा झटका लगा है। वहीं जिस कांग्रेस को समाप्त करने की बात कही जा रही थी वह लगातार नागपुर सहित अन्य भागों में मजबूत हो रही है। या यह कह सकते हैं कि, अपनी खोई हुई जमीन वापस पाते हुए दिख रहे या पा चुके हैं। 

चार महीने बाद विधानसभा चुनाव कैसे होगी वापसी
लोकसभा चुनाव के मिली हार का मंथन भाजपा ने शुरू कर दिया है। इसी को लेकर गुरुवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में पार्टी के बड़े नेताओं ने बैठक की। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति पेश की। इस दौरान फडणवीस ने आगामी चुनाव को देखते हुए पार्टी की रणनीति को बदलते हुए चुनाव में उतरने की बात कही। जिससे फिर एक बाद मजबूती के साथ सत्ता में लौटा जा सके। हालांकि, वह रणनीति क्या होगी इसपर उन्होंने कोई बात नहीं रखी। लोकसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित महाविकास अघाड़ी ने विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। नेताओं को लाने और जोड़े रखने का काम शुरू कर दिया है। वहीं अब यह देखना होगा कि,आखिर भाजपा किस नए रणनीति के साथ चुनाव में उतरती है।