न्यायपालिका को हर मामले में दखल देने की जरूरत नहीं, सीजेआई भूषण गवाई की महत्वपूर्ण टिप्पणी

नागपुर: नागपुर जिला वकील संघ की ओर से कल शुक्रवार को सिविल लाइंस जिला सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के लिए न्यायालय परिसर में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने न्यायिक सक्रियता पर बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की। जस्टिस गवाई ने कहा कि, "न्यायपालिका को हर मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है।"
मंच पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति प्रसन्ना वराले, न्यायमूर्ति अतुल चांदुरकर, बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराध्ये, नागपुर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायाधीश नितिन साम्ब्रे, न्यायमूर्ति अनिल किलोर, न्यायमूर्ति अभय मंत्री, मुख्य जिला न्यायाधीश दिनेश सुराना और गवई की मां कमलताई गवई और पत्नी तेजस्विनी गवई मौजूद थीं।
गवई ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने कहा, "न्यायिक सक्रियता जारी रहनी चाहिए, लेकिन संविधान ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के लिए सीमाएं तय की हैं। इसलिए न्यायपालिका को हर मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है। सीमाएं तय कर दी गई हैं। इसलिए न्यायपालिका को हर मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है।" जस्टिस गवई ने आगे कहा, सभी संस्थाओं से संविधान के मुताबिक काम करने की उम्मीद की जाती है। संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका की सक्रियता जरूरी है। हालांकि, इसे किसी दूसरे मामले में नहीं बदलना चाहिए।"

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