उद्धव के बयान पर मुनगंटीवार का बड़ा बयान, बोले- शरद पवार के कहने पर ठाकरे ने बनाई झूठी कहानी

नागपुर: उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर 2019 में भाजपा के साथ तय हुए ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर फिर से बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि, भाजपा ने सत्ता के लिए अपना वादा तोडा है। ठाकरे के इस बयान पर राज्य के कैबिनेट मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पलटवार किया है। नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, "विधानसभा चुनाव के पहले उद्धव और शरद पवार के बीच बैठक हुई। बैठक में पवार की कही बात ला फायदा उठाते हुए ठाकरे ने झूठी कहानी बनाई और भाजपा को ब्लैकमेल करना शुरू किया। इसी के साथ मुनगंटीवार ने उद्धव को आत्मचिंतन करने की सलाह दी।
मुनगंटीवार ने कहा, “भाजपा ने कोई वादा नहीं किया था। जितनी भी सभा हुई सभी में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में सरकार बनाने की बात कही थी। चुनाव के पहले शरद पवार और उद्धव ठाकरे की बैठक हुई इस बैठक में उन्होंने उद्धव को समझाया कि, भाजपा के 130 विधायक विधायक आएंगे तो आप को कोई वैल्यू नहीं रहेगी। अगर कम आतें हैं तो उन्हें ब्लैकमेल किया जा सकता है।"
उन्होंने कहा, “चुनाव परिणाम के बाद जब दिखाई दिया की भाजपा बिना उनके सरकार नहीं बना सकती तो उद्धव के मन में बेईमानी जाएगी और फायदा उठाते हुए मुख्यमंत्री के पद को लेकर झूठी कहानी बनाई और भाजपा को ब्लैकमेल करना शुरू किया।” उन्होंने आगे कहा, अमित शाह ने बार-बार कहा की मैंने ऐसा कोई भी वादा नहीं किया है।"
उद्धव के नेतृत्व में नहीं लड़ा था चुनाव
पर्यावरण मंत्री ने कहा, “अगर ऐसे आज राजनीतिक दलों को लग गई तो कल जितने भी भाजपा के साथ लड़ने वाली पार्टियां हैं वह कम विधायकों के साथ खड़ी होकर कहने लगेंगे की हमारा मुख्यमंत्री होना चाहिए। यह लोकतंत्र में नहीं चलेगा। अगर जहां हमने वादा किया है, वहां यह संभव है। जिसका उदारहण बिहार में नितीश कुमार के साथ हमने किया।” इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, "2019 में हमने उद्धव ठाकरे की अगुवाई में चुनाव नहीं लड़ा था।"
उद्धव का मन अस्थिर और चंचल
मुनगंटीवार ने कहा, “उद्धव ठाकरे की राजनीति कितनी बदल गई है वह सभी ने देखा है। महाशिव अघाड़ी से शिव गायब हो गया। पहले कहते थे शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाऊंगा, लेकिन वह खुद मुख्यमंत्री बन गए। ऐसे सैकड़ों उदारहण दिया जा सकता है। जिससे यह साबित होता है उनका मन अस्थिर और चंचल है।”
उन्होंने कहा, “35 साल-साल तक पार्टी के लिए काम किया। ठाणे से कोकण तक मजबूत किया वह नेता आखिर उद्धव ठाकरे को छोड़कर क्यों चले गए। छगन भुजबल, नारायण राणे हो या अब एकनाथ शिंदे छोड़कर गए इसके लिए भाजपा नहीं बल्कि स्वाभाव है। उनके पास रहने वाले नेता उनका समर्थन नहीं करना चाहते।”

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