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पहलगाम हिंसा और ऑपरेशन सिंदूर पर दिखाईं एक जुटता की संघ ने की तारीफ, कहा- यह स्थाई होनी चाहिए


नागपुर: पहलगाम हमले के बाद देश के राजनीतिक दलों और आम जनता द्वारा दिखाए एक जुटता की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रशंसा की है। नागपुर में संघ के द्वितीय वर्ग के समापन समारोह में बोलते हुए संघ प्रमुख ने भविष्य में भी यही एक जुटता बने रहने की आशा जताई। यही नहीं भागवत ने सैन्य ताकत में भारत को आत्मनिर्भर बनने की बात भी कही। इसी के साथ संघ प्रमुख ने समाज को एक साथ रहकर आगे बढ़ने सहित जानबूजकर विवाद पैदा नहीं करने का आवाहन भी किया। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय वर्ग कार्यकर्ता निर्माण समारोह का अंतिम दिन था। नागपुर के रेशमबाग स्थित हेडगेवार स्मारक समिति में समापन समरोह का आयोजन किया गया। जिसमे वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान बोलते हुए संघ प्रमुख ने आपरेशन सिंदूर के लिए भारतीय सेना की जोरदार तारीफ की। भागवत ने कहा कि, ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से सेना ने फिर एक बार दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी है। वहीं राजनीतिक दलों की भूमिका की तरफ करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, नृशंस आतंकी हमले के बाद लोग दुखी और क्रोधित थे। वे चाहते थे कि दोषियों को सजा मिले। कार्रवाई की गई और सजा भी दी गई। हमारी सेना ने एक बार फिर पराक्रम दिखाया। प्रशासन की दृढ़ता भी देखने को मिली। समाज ने भी एकता का संदेश दिया। राजनीतिक दलों ने भी आपसी समझदारी दिखाई, जो आगे भी बनी रहनी चाहिए। 

अपने संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने भारत को सैन्य उपकरणों में आत्मनिर्भर बनने की वकालत की। यही नहीं संघ प्रमुख ने मौजूदा समय में समाज के अंदर होने विवाद पर भी गहरी चिंता जाहिर की। भागवत ने कहा, समाज को भड़काने वाले लोग है। अपने स्वार्थ के लिए समाज को दूसरे समाज से लड़ने वाले लोग भी हैं, हमें इनके चंगुल में फसना नहीं है। हम सब एक हैं। भाषा, खानपान, पहनावा में भले अलग हैं लेकिन सनातन में हम सब एक हैं। इसी के साथ संघ प्रमुख ने धर्मांतरण को समाज के प्रति हिंसा बताया।

मोहन भागवत के पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने अपनी बात रखी। उन्होंने आदिवासियों में हो रहे धर्मांतरण का मुद्दा उठाया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, अब तक किसी भी राज्य सरकार ने धर्मांतरण के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है। लेकिन मुझे लगता है कि आरएसएस ही एकमात्र संस्था है जो इस दिशा में मदद कर सकती है। इसी के साथ नेताम ने नक्सलियों के खिलाफ शुरू कार्रवाई का स्वागत करते हुए मांग कि, सरकार ऐसी कार्रवाई करें की नक्सलवाद दोबारा सर न उठा सके।