महायुति में क्रेडिट पॉलिटिक्स; मुख्यमंत्री फडणवीस के सामने श्रेय को लेकर भिड़े संजय सिरसाट

नागपुर: महायुति में पिछले कई दिनों से क्रेडिट पॉलिटिक्स दिखाई दे रही है। गठबंधन में शामिल तीनो दलों के नेता गाहे बगाहे एक दूसरे के ऊपर तंज और कटाक्ष करते हुए दिखाई देते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला शनिवार को नागपुर में एक कार्यक्रम में देखने को मिला। जहां नागपुर के लॉ कॉलेज परिसर में बने प्रियंबल पार्क के निधी को लेकर शिवसेना और भाजपा नेताओं में वार पलटवार दिखा। शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट फंड तो मेरे विभाग ने दिया, लेकिन इसका श्रेय विदर्भ के नेताओं को जा रहा है। इसलिए हमने क्रेडिट पॉलिटिक्स करना सीख लिया है। वहीं सिरसाट के इस तंज पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी उसी जुबान में जवाब दिया।
नागपुर के लॉ कॉलेज में संविधान प्रस्तावना पार्क का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई ने किया। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसी लॉ कॉलेज से पढ़ाई की है। इस कार्यक्रम के लिए मंच पर आने से पहले सभी नेता और गणमान्य लॉ कॉलेज के एक कमरे में बैठे थे। संजय शिरसाट ने अपने भाषण में कमरे में हुई घटना का जिक्र किया।
संजय शिरसाट ने वास्तव में क्या कहा?
संजय शिरसाट ने अपने भाषण में फडणवीस पर सीधा निशाना साधते हुए एक मजेदार लेकिन बेबाक टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री फडणवीस कार्यक्रम से पहले जिस कमरे में हम बैठे थे, वहां आए और कहा कि हम अब इस कमरे को तोड़ने जा रहे हैं। तब मैंने सोचा, क्या वह नहीं चाहते कि उनके बाद यहां कुछ और बने?"
श्रेय लेना सीख लिया
लेकिन शिरसाट यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, "मेरे विभाग ने यहां काम के लिए धन मुहैया कराया, लेकिन हर कोई बावनकुले की तारीफ कर रहा है। यहां पूरे विदर्भ के नेता हैं और उन्होंने एकजुट होकर काम किया। इसलिए, हमने यहां श्रेय लेना सीख लिया है।"
शिरसाटा के बयान पर फडणवीस का स्पष्टीकरण
कुछ देर बाद फडणवीस बोलने के लिए खड़े हुए और संजय शिरसाट के बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा, हां, हम उस कमरे को तोड़ने जा रहे हैं, लेकिन इसके पीछे कोई कारण नहीं है, यह नई बिल्डिंग का काम है। संजय शिरसाट ने आधा सच कहा है। लॉ कॉलेज के लिए नई बिल्डिंग की जरूरत है, इसीलिए मैंने ऐसा कहा।
इस तीखी नोकझोंक के बाद मंच पर माहौल कुछ हद तक उलझ गया, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह कहकर माहौल को शांत करने की कोशिश की कि यह काम किसी एक विभाग ने नहीं किया है, बल्कि सभी विभागों की भागीदारी से किया गया है।

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