नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक को दोबारा खड़ा करेगी राज्य सरकार, महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक संस्थापक प्रशासक के तौर पर नियुक्त

नागपुर: राज्य सरकार ने डूब चुकी नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (Nagpur District Central Cooperative Bank) को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक (Maharashtra Cooperative Bank) को संस्थापक प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने तीन साल में बैंक के दोबारा खड़ा होने का विश्वास जताया है। रविवार को नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने यह जानकारी दी। इसी के साथ फडणवीस ने बैंक को लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा।
फडणवीस ने कहा, "घोटाले के कारण बैंक बंद हो गई थी। कांग्रेस नेताओं ने इस बैंक को दिवालिया बना दिया। आज मुझे बहुत खुशी है कि हमने इस बैंक के लिए एक संस्थागत प्रशासक नियुक्त किया है। एमएससी बैंक तीन वर्षों के भीतर इस बैंक का पुनर्निर्माण करेगा। हम उस बैंक को पुनः चालू कर रहे हैं जिसे तत्कालीन कांग्रेस नेताओं ने दिवालिया बना दिया था और किसानों को नुकसान पहुंचाया था।"
क्या है नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाला?
नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) घोटाला महाराष्ट्र का एक बड़ा वित्तीय घोटाला है, जिसमें लगभग 170 करोड़ रुपये के अनियमित लेनदेन सामने आए थे। यह घोटाला 2002 में तब प्रकाश में आया, जब पता चला कि होम ट्रेड सिक्योरिटीज ने नियमों का उल्लंघन करते हुए एनडीसीसीबी से बड़ी मात्रा में धनराशि स्थानांतरित की थी। जिस समय यह घोटाला हुआ उस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील केदार बैंक के अध्यक्ष थे। 21 साल चले क़ानूनी लड़ाई के बाद नागपुर की जिला व सत्र न्यायलय ने केदार को दोषी पाया। अदालत ने कांग्रेस नेता को 5 साल की जेल और 12 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। इसी के साथ अदालत ने आरोप से 1500 करोड़ रूपये वसूलने का आदेश भी दिया था।

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