मुनगंटीवार पर नहीं, यह ज़िले पर अन्याय , चंद्रपुर जिले के भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री फडणवीस से लगाई गुहार

चंद्रपुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक सुधीर मुनगंटीवार को मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद जिले में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच गहरी नाराजगी फैल गई है। मुनगंटीवार को मंत्रिमंडल में स्थान न दिए जाने से अन्य दलों के नेता और पदाधिकारी भी दुख जता रहे हैं।
यह अन्याय मुनगंटीवार पर नहीं, बल्कि जिले पर हुआ है, ऐसी तीखी प्रतिक्रियाएं आम नागरिकों में देखने को मिल रही हैं।
उनके समर्थन में सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। इसी के चलते मंगलवार को भाजपा के जिला पदाधिकारियों ने विधायक देवराव भोगंले के नेतृत्व में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की।
भाजपा के आंतरिक संघर्ष में मुनगंटीवार को बलि चढ़ना पड़ा। जिले के कुछ भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ शिकायतें दिल्ली दरबार तक पहुंचाई, जिसे राज्य के कुछ नेताओं का समर्थन मिला। इसके चलते मुनगंटीवार को मंत्रिमंडल से बाहर होना पड़ा। इसके बाद इन नेताओं और उनके समर्थकों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। लेकिन आम मतदाताओं में मुनगंटीवार के प्रति सहानुभूति बढ़ गई है। पिछले दो दिनों से मुनगंटीवार जिले में चर्चा के केंद्र बने हुए हैं।
खास बात यह है कि उनके राजनीतिक विरोधी भी कह रहे हैं कि मुनगंटीवार के साथ अन्याय हुआ है और वे सोशल मीडिया पर खुलकर उनका समर्थन कर रहे हैं।
मुनगंटीवार ने अब तक जो कार्य किए, उसकी राजकीय आलोचना जरूर होती है, लेकिन जिले में हजारों करोड़ का फंड लाना और विकास कार्यों को गति देना मुनगंटीवार ही कर सकते हैं, ऐसा विश्वास उनके आलोचकों को भी है।
मुनगंटीवार जैसे अध्ययनशील नेता हाल के समय में जिले को मुश्किल से ही मिले हैं। उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों से संबंध बनाए। मंत्रिपद के दौरान मुनगंटीवार का जनता के साथ व्यवहार ऐसा रहा कि लोग उन्हें "मुंबई के मंत्रालय में आपका हकदार आदमी" मानते थे। उनके दफ्तर में सबसे ज्यादा भीड़ होती थी। यहां तक कि आम आदमी को भी 'कॉल बैक' करने वाले नेता के रूप में उनकी पहचान बनी।
हालांकि लोकसभा चुनाव में मुनगंटीवार को हार का सामना करना पड़ा। उस समय केंद्रीय नेतृत्व की नीतियों, संविधान संशोधन मुद्दे और जातीय समीकरणों का असर उनके खिलाफ पड़ा। इसके बावजूद मतदाताओं ने विधानसभा में उनकी कमी पूरी की और लगातार सातवीं बार उन्हें विधायक चुना। जब भी भाजपा सत्ता में रही, मुनगंटीवार को लाल बत्ती मिली।
उन्होंने वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय को भी संभाला। इसी कारण उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने पर किसी को संदेह नहीं था। लेकिन आखिरी समय में उनका नाम हटा दिया गया, जिससे उनके समर्थक हताश हो गए। कुछ कार्यकर्ता तो रो पड़े।
मुनगंटीवार के विरोधी भी उनके मंत्रिमंडल से बाहर होने पर दुखी हैं। भाजपा के इस निर्णय को जिले के साथ अन्याय बताया जा रहा है। खास बात यह है कि छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में मुनगंटीवार के प्रति मतदाताओं में नाराजगी थी, लेकिन अब उनके मंत्री पद की दौड़ से बाहर होने के बाद उन्हें जिले में जबरदस्त समर्थन और सहानुभूति मिल रही है।
समर्थकों का फडणवीस के द्वार पर विरोध
मुनगंटीवार को मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग को लेकर विधायक देवराव भोंगंले के नेतृत्व में भाजपा के पदाधिकारी, पूर्व नगरसेवक और जिला परिषद सदस्य मंगलवार की रात 10 बजे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिले। इससे पहले पार्टी कार्यालय में पदाधिकारियों ने मुनगंटीवार से मुलाकात की। इस दौरान सभी भावुक हो गए।
बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि मुनगंटीवार के कारण जिले में विकास कार्य आगे बढ़ रहे हैं और कार्यकर्ता भी नाराज हैं। इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। इस पर फडणवीस ने सबकी बातें शांतिपूर्वक सुनीं और कहा कि वे दिल्ली से इसकी जानकारी लेंगे।
इस बैठक में पूर्व विधायक अतुल देशकर, चंदनसिंह चंदेल, भाजपा जिला अध्यक्ष हरीश शर्मा, शहर अध्यक्ष राहुल पावडे, महिला मोर्चा प्रमुख सविता कांबले सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी उपस्थित थे।
इस बीच, मुनगंटीवार 19 तारीख को दिल्ली जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात करने वाले हैं।

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