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निचली अदालत के निर्णय पर टिका केदार का भविष्य, SC ने 30 सितंबर के पहले फैसला देने का दिया आदेश


नागपुर: नागपुर मध्यवर्ती केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाले में दोषी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील केदार को सुप्रीम से मिले झटके के बाद अब निचली अदालत का ही सहारा रह गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केदार की याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत की कार्रवाई पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने 30 सितंबर के पहले सजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर निर्णय देने का आदेश सत्र न्यायालय को दिया है। 

बीते वर्ष दिसंबर में निचली अदालत ने नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाले में सुनील केदार सहित छह लोगों को दोषी पाते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी। इसी के साथ अदालत ने 12 लाख का जुर्माना भी लगाया था। अदालत के आदेश के खिलाफ केदार ने सत्र न्यायालय में पुनर्विचार याचिका लगाई थी। हालांकि, अदालत से उसे ख़ारिज कर दिया था। 

जन प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक दो साल से ज्यादा की सजा पाने वाला कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकता। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वहीं चुनाव लड़ने के लिए सजा पर रोक मिलना जरूरी है। जिसके बाद केदार ने उच्च न्यायालय में सजा पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, अदालत ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

उच्च न्यायालय से याचिका ख़ारिज होने के बाद केदार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जिसपर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने उसे भी ख़ारिज कर दिया। हालांकि, उच्चतम न्यायालय निचली अदालत को केदार की याचिका पर 30 सितंबर के पहले निर्णय देने का आदेश दिया है। 

अब निचली अदालत के आदेश पर टिका केदार का भविष्य

सुनील केदार वर्तमान में दोषी है, जिसके कारण वह 11 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। चुनाव लडने के लिए उन्हें दोषमुक्त होना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट से पहले केदार ने निचली अदालत में भी पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से इनकार करने पर अब केदार का भविष्य सत्र न्यायालय के आदेश पर टिका हुआ है। अगर न्यायालय केदार के पक्ष में फैसला देता है तो वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अगर विरोध में निर्णय आया तो केदार का राजनीतिक भविष्य अंधकार में चला जायेगा।