logo_banner
Breaking
  • ⁕ खातों में निकली 22.76 करोड़ रुपए की अनियमितता, सीनेट में बवाल, कुलगुरु ने जांच समिति गठित, सवालों के घेरे में विश्वविद्यालय प्रशासन ⁕
  • ⁕ Amravati: तलेगांव ठाकुर जंक्शन से कई सूचना फलक अचानक हटे, जमीन पर मिले प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र सहित विभिन्न संस्थानों के सूचना फलक ⁕
  • ⁕ Wardha: जिले की देवली नगर परिषद में मतदान जारी, मतदाता सुबह से विभिन्न मतदान केंद्रों पर डाल रहे वोट ⁕
  • ⁕ Gondia: गोंदिया और तिरोड़ा नगर परिषद् के वार्डो में मतदान जारी, 18 हजार मतदाता करेंगे 18 उम्मीदवारों का फैसला ⁕
  • ⁕ विदर्भ की सात सहित 23 नगर परिषद में आज मतदान, मतदान केंद्रों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था, रविवार को होगी परिणामों की घोषणा ⁕
  • ⁕ खापरी ROB–MIHAN इंटरचेंज फ्लाईओवर का काम हुआ शुरू, 24 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य ⁕
  • ⁕ बुटीबोरी एमआईडीसी हादसा: मुख्यमंत्री फडणवीस ने जताया शोक, मृतकों को सरकार पांच, तो कंपनी को देगी 30 लाख का मुआवजा ⁕
  • ⁕ Chandrapur: चंद्रपूर मनपा में नया विवाद; आयुक्त के ‘अलिखित फरमान’ से अधिकारी-कर्मचारी परेशान ⁕
  • ⁕ सूदखोरी का कहर! चंद्रपुर में साहूकारों की दरिंदगी, एक लाख का कर्ज़ 47 लाख बना; कर्ज चुकाने किसान ने बेच दी किडनी ⁕
  • ⁕ Nagpur: चोरी के मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार, तीन चोरी की वारदातों का खुलासा, क्राइम ब्रांच यूनिट 3 की कार्रवाई ⁕
Nagpur

पेड़ो की कटाई पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनपा को लगाई फटकार, 10 सालों में काटे और लगाए पेड़ो की ऑडिट रिपोर्ट देने का दिया निर्देश


नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने पेड़ों की कटाई और प्रतिपूरक वृक्षारोपण के संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। पेड़ों को काटने की अनुमति देने से पहले प्रतिपूरक वृक्षारोपण की शर्त शामिल करना आवश्यक है। यह नियम सार्वजनिक और निजी परियोजनाओं पर लागू होगा।

कोर्ट ने पाया कि 2019 से 2025 तक नागपुर में 6356 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी। दावा किया गया कि मुआवजे के तौर पर 89308 पौधे लगाए गए। लेकिन उनके जीवित रहने और रखरखाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रीति पटेल और तीन अन्य नागरिकों द्वारा नागपुर पीठ में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ट्री एक्ट के प्रावधानों का पालन किए बिना नागपुर शहर के विकास के लिए 1374 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव है।

न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध अनुमति और वृक्षारोपण पर 10 साल का डेटा मांगा। वास्तव में कितने पेड़ लगाए गए और उनका अस्तित्व है, यह स्पष्ट करने के लिए कोई डेटा प्रदान नहीं किया गया है। पेड़ों को काटने की अनुमति में प्रतिपूरक वृक्षारोपण की शर्त शामिल है। लेकिन पेड़ लगे हैं या नहीं और उनका सर्वाइवल रेट क्या है, इसकी कोई मॉनिटरिंग या ऑडिट नहीं होता।

कोर्ट ने आदेश दिया कि पेड़ों को काटने की अनुमति देने के साथ ही अनुमति लेकर अनिवार्य रूप से प्रतिपूरक वृक्षारोपण करना होगा। इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति या प्राधिकरण को वृक्ष अधिकारियों को शपथ पत्र के साथ अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। कोर्ट ने नगर निगम को पिछले 10 वर्षों के वृक्षों की कटाई और वृक्षारोपण का डेटा शपथ पत्र के साथ 13 जून 2025 तक प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मृणाल चक्रवर्ती और नगर निगम की ओर से अधिवक्ता जेमिनी कासट ने बहस की। जियो टैगिंग का सुझाव कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि लगाए गए पेड़ों की 7 वर्षों तक देखभाल करनी होगी। यह जिम्मेदारी उस व्यक्ति या प्राधिकरण की होगी, जिसे अनुमति दी गई है। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि नए पेड़ों की जियो टैगिंग की जानी चाहिए, ताकि उनकी मॉनिटरिंग पारदर्शी हो सके।