Wardha: घर का सपना रह गया अधूरा, बस हादसे में एकलौते बेटे की हुई दर्दनाक मौत

वर्धा: धीरे-धीरे पूरे महाराष्ट्र को तबाह करने वाले समृद्धि हाईवे पर हुए इस हादसे ने कई लोगों के परिवार तबाह कर दिए। वर्धा के 14 यात्रियों में से तीन यात्री और एक छोटा लड़का एक ही परिवार के और रिश्तेदार हैं। तेजस रामदास पोकले और वृषाली राजेश वानकर, एक बच्चा ओबी राजेश वानकर, शोभा वानकर रिश्तेदार हैं। वे शुक्रवार को विदर्भ ट्रैवल्स से पुणे के लिए रवाना हुए। एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में तेजस के साथ उसकी बहन, उनकी सास और बच्चे की मौत हो गई।
तेजस रामदास पोकले का जन्म एक बहुत ही बुद्धिमान लेकिन गरीब परिवार में हुआ था। पिता रामदास पोकले घरेलू बढ़ई हैं और उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी हैं। टिन और कबेलू का कच्चा घर। इतने सालों में उस घर पर एक ईंट भी नहीं रखी, बेटा पढ़-लिखकर इंजीनियर बन जाएगा और नौकरी करनी होगी, तभी पक्का घर बनाया जाएगा। पिता का यह सपना पूरा हुआ और बेटा पढ़-लिखकर इंजीनियर बन गया। वहीं नौकरी के लिए कॉल आई तो माता-पिता और बहन की खुशी सातवें आसमान पर पहुंच गई।
तेजस ने अपने पिता से कहा कि मुझे लाखों रुपये के पैकेज की नौकरी मिल गई है। जब वेतन मिलने लगा तो पिता ने जिद की कि हमें पहले अपना घर बनाना चाहिए। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। पिता का घर बनाने का सपना अधूरा ही रह गया।
दरअसल, तेजस को सोमवार को नौकरी ज्वाइन करनी थी। युवक दो दिन पहले अपनी बहन, उसकी सास और अपनी भांजी के साथ पुणे जाने के लिए निकला। लेकिन आधी रात को बस दुर्घटना का शिकार हो गई। इस हादसे में सभी की जलकर मौत हो गई। शनिवार शुबह जब पुलिस का फ़ोन आया तो तेजस के पिता को हादसे के बारे में पता चला।
बेटे को खोने खबर मिलते ही माता-पिता अपने जज्बात रोक नहीं पाए और आंसू के जरिए वह बाहर निकल पड़ी। बेटे को खोने का दुःख माता-पिता के रोते-बिलखते चहरे से दिखाई पड़ रहा था। बेटे की नौकरी लगेगी तो सरे सपने पुरे करेंगे, वह सब टूट गया। आंखों में आंसू लेकर माता-पिता बेटे का शव लेने बुलढाणा के लिए रवाना हो गए।

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