पश्चिम विदर्भ बना किसान आत्महत्या का गढ़, 10 महीने में 888 ने की आत्महत्या; अक्टूबर महीने में 87 ने लगाया मौत को गले
अमरावती: पश्चिमी विदर्भ में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार दिवाली यानी अक्टूबर महीने में 87 किसानों ने आत्महत्या की है, जबकि इस साल के 10 महीनों में 888 किसानों ने आत्महत्या की है। 1 जनवरी 2001 से अब तक 22,038 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
पश्चिमी विदर्भ के सभी पाँचों ज़िलों में जनवरी 2001 से किसान आत्महत्याएँ दर्ज की गई हैं। उसके बाद से अक्टूबर 2025 तक 22,038 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से 11,295 मामले सरकारी सहायता के पात्र थे, जबकि 11,366 मामले अपात्र घोषित किए गए।
गौरतलब है कि संभागीय आयुक्तालय के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष के अंत से 377 मामले जाँच के लिए लंबित हैं। ये सभी किसान न केवल सुल्तानी संकट के, बल्कि सरकार और प्रशासन की उदासीनता के भी शिकार हैं।
प्राकृतिक आपदाओं, फसल की बर्बादी, सूखे, बैंकों और निजी साहूकारों से लिए गए कर्ज, बेटियों की शादी, बीमारी आदि के कारण राज्य में सबसे ज़्यादा किसान आत्महत्याएँ पश्चिमी विदर्भ में हो रही हैं। यह एक तथ्य है कि यवतमाल, अमरावती और बुलढाणा जिलों में किसानों की आत्महत्याओं में वृद्धि हुई है।
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