Gondia: जान खतरे में डालकर जंगल जा रही महिलाएं

सालेकसा: उज्जवला योजना सरकार द्वारा सभी आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को गैस सिलेंडर उपलब्ध करवाने के लिए शुरू की गई. पेट की आग बुझाने के लिए गरीब को हर तरह का जोखिम उठाना पड़ता है. केंद्र सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे ईंधन मूल्यवृद्धि के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग महंगा गैस सिलेंडर नहीं खरीद पा रहे हैं. ऐसे में उज्ज्वला योजना के तहत जिन्हें सिलेंडर बांटे गए, उनके घरों के मिट्टी के चूल्हे भी जलने लगे हैं.
महंगाई ने तोड़ी कमर
गरीब रसोई गैस सिलेंडर नहीं भरा पा रहे हैं. इस कारण अब महिलाएं पुनः एक बार जंगल में जलाऊ लकड़ी लाने के लिए जा रही हैं जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा बढ़ गया है. लगातार की जा रही गैस सिलेंडर के दामों में वृद्धि की वजह से अब ग्रामीणों का सिलेंडर रिफिलिंग कराना महंगा पड़ रहा है. इसलिए पुन एक बार महिलाएं चूल्हे में रसोई बनाने के लिए जंगल में जलाऊ लकड़ियां लाने के लिए जाती दिखाई देने लगी हैं.
कुछ लोग सूखी लकड़ियां चुनकर उसे शहर में बेचकर उपजीविका चलाते हैं. लेकिन जंगल में घूम रही मौत कब व किस समय उन्हें अपने आगोश में ले ले यह कहना कठिन है. बाघ व तेंदुए के खतरे के बाद भी कई ग्रामीण ईंधन व उपजीविका के लिए जंगल की और रूख कर रहे हैं. इसमें महिला, पुरुष ही नहीं वृद्ध व अल्पायु के बच्चे भी शामिल हैं.
वन्यजीव- मानव संघर्ष का खतरा
इन चूल्हों के लिए लकड़ियां लाने महिलाओं को जंगल में जाना पड़ रहा है. जहां वन्यजीव- मानव संघर्ष का खतरा बना रहता है. लेकिन जीवन की गाड़ी को आगे ले जाने के लिए महिलाएं जान का खतरा मोल ले रही हैं.

admin
News Admin