मराठी को मिला ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री सहित कई ने किया फैसले का स्वागत

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को एक बड़ा लेते हुए पांच और भाषाओं - मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा देने को मंजूरी दे दी। कैबिनेट के इस फैसले के साथ ही, दर्जा प्राप्त भाषाओं की संख्या छह से लगभग दोगुनी होकर 11 हो गई है।
इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को यह दर्जा मिला हुआ था। तमिल को 2004 में यह दर्जा दिया गया था और आखिरी बार 2014 में ओडिया को यह दर्जा मिला था।
वहीं, मराठी को क्लासिकल लैंग्वेज यानि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के फैसला का मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, मनसे प्रमुख राज ठाकरे सहित कई नेताओं ने स्वागत कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया है।
इनमें से कुछ भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से चल रही है। इनमें मराठी भी शामिल है और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 2014 में इस उद्देश्य के लिए भाषा विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। समिति ने कहा था कि मराठी शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता पाने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करती है और यह रिपोर्ट केंद्र को भी भेजी गई थी।
दर्जा प्राप्ति के लिए मानदंड:
- भाषा के प्रारंभिक ग्रंथों की उच्च प्राचीनता - 1,500-2,000 वर्षों की अवधि में दर्ज इतिहास
- प्राचीन साहित्य का एक संग्रह - ग्रंथ, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों द्वारा विरासत माना जाता है
- ज्ञान ग्रंथ, विशेष रूप से कविता के अलावा गद्य ग्रंथ, पुरालेखीय और शिलालेखीय साक्ष्य
- शास्त्रीय भाषाएँ और साहित्य अपने वर्तमान स्वरूप से अलग या अपनी शाखाओं के बाद के रूपों से अलग हो सकते हैं

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