Nagpur: वन्यजीव के अंगों की तस्करी करने वाले तीन आरोपी गिरफ्तार

नागपुर: विदर्भ में बाघों की संख्या भले ही बढ़ गई हो, लेकिन शिकारियों का खतरा कम नहीं हुआ है। कभी शिकारी बिजली के तारों का सहारा लेते हैं तो कभी शिकार के लिए जहर और फिर बाघों के अंगों की तस्करी की जाती है। ऐसी ही एक तस्करी को रोकने में वन विभाग को सफलता मिली है। हालांकि अवैध शिकार को रोका नहीं जा सका, अधिकारियों ने अंग बेचने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया।
नागपुर और भंडारा वन विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए बाघ की मूंछ वाले तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है। पिछले कुछ दिनों से विभाग को सूचना मिली थी कि भंडारा में बाघ की मूंछों की तस्करी की जा रही है। अधिकारी इस पर नजर रखे हुए थे। उन्होंने जाल बिछाया और तीन आरोपी तस्करों को हिरासत में लिया। इसमें अशफाक शेख, प्रकाश मट्टे, रवींद्र बरई शामिल हैं। इनके पास से बाघ की 17 मूंछें बरामद की गई हैं। आरोपी के खिलाफ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत वन अपराध दर्ज किया गया था।
यह जाल भंडारा वन प्रमंडल के लखनी वन क्षेत्र में लगाया गया। इस अभियान का नेतृत्व क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक रंगनाथ नाइकडे, उप वन संरक्षक भरत सिंह हाड़ा, उप वन संरक्षक राहुल गवई और मंडल वन अधिकारी पी.जी. कोडापे, सहायक वन संरक्षक नरेंद्र चंदेवार, और वन विभाग के अधिकारी और क्लर्क प्रमोद वाडे, वाई.डी. तड़म, नीलेश तवले, गणेश जाधव, दिनेश पडवाल, विनोद शेंडे, सुधीर कुलारकर, संदीप धुर्वे, साकेत शेंडे शामिल रहे।

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