बाबा रामदेव को बड़ी राहत, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने याचिका की ख़ारिज; जानें पूरा मामला

नागपुर: योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdeo) को सोमवार को बड़ी राहत मिली। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ (Bombay High court Nagpur Division) ने बाबा रामदेव के खिलाफ दायर उस याचिका को ख़ारिज कर दी, जिसमें उन पर जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में फैल गया था. इसके चलते वैश्विक स्तर पर लॉकडाउन लगा दिया गया और पूरी दुनिया में कारोबार ठप हो गया. दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के निदान के लिए दवा विकसित करने की कोशिश की। इस बीच भारत में पतंजलि उद्योग समूह के प्रमुख बाबा रामदेव ने कोरोना के खिलाफ 'कोरोनिल' नाम की दवा बनाने का दावा किया था। बाबा के इस दावे के खिलाफ नागपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता जनार्दन मून ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर की और उन पर जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
याचिका पर सोमवार को अदालत ने सुनवाई की। याचिका के मुताबिक, पतंजलि प्रमुख बाबा रामदेव ने कोरोना काल में कोरोनिल नाम की दवा जारी की थी. इस दवा की बिक्री से रामदेव बाबा ने 451 करोड़ का कारोबार किया। लेकिन रामदेव बाबा की कोरोना दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी नहीं मिली. उनकी दवा का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किया था. केंद्र सरकार ने कोरोना टीकाकरण पर 35 हजार करोड़ रुपये खर्च किये. इससे आम लोगों के मन में असमंजस की स्थिति थी कि कोरोना की कौन सी दवा लें।
जनार्दन मून ने कोर्ट में दलील दी कि इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा तैयार आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है। मून ने दावा किया कि कोरोना वायरस की दवा पर बाबा रामदेव का दावा संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। इस दावे को ख़ारिज करके मून के जीवन के अधिकार का उल्लंघन कैसे किया गया? कोर्ट ने ये पूछा। कोई ठोस जवाब नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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