नागपुर में निजी बसों की 'नो एंट्री' पर हाईकोर्ट में चुनौती

नागपुर: शहर में निजी बसों के संचालन पर लगी पाबंदी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। निजी बस ऑपरेटर्स संघ ने ट्रैफिक पुलिस की अधिसूचना को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ का दरवाज़ा खटखटाया है। 12 अगस्त को ट्रैफिक पुलिस उपायुक्त लोहित मतानी ने अधिसूचना जारी कर इनर रिंग रोड के भीतर निजी बसों को यात्री चढ़ाने और उतारने पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। इसी आदेश के खिलाफ बस ऑपरेटर्स संघ कोर्ट पहुंचा।
हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त, जिल्हाधिकारी और मनपा आयुक्त समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए 22 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह अधिसूचना मनमानी है और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 में दिए गए मूल अधिकारों का उल्लंघन करती है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि बस स्टॉप और पार्किंग तय करने का अधिकार ट्रैफिक पुलिस का नहीं, बल्कि आरटीओ का है।बस ऑपरेटर्स का कहना है कि यह कदम राज्य परिवहन निगम को फायदा पहुँचाने और निजी बस व्यवसाय को खत्म करने की साज़िश है। उनका तर्क है कि ट्रैफिक जाम तो दोनों सेवाओं से होता है, फिर भी केवल 1600 निजी बसों को निशाना बनाया जा रहा है।संघ ने यह भी आरोप लगाया कि मनपा ने अब तक निजी बसों के लिए कोई अधिकृत बस टर्मिनल या पार्किंग की जगह उपलब्ध नहीं करवाई है।
जबकि सरकार पहले ही आदेश दे चुकी है कि 'ऑल इंडिया परमिटेड' बसों पर कार्रवाई न की जाए।निजी बस ऑपरेटर्स ने हाईकोर्ट से अधिसूचना रद्द करने और उस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। साथ ही तीन महीने के भीतर बस स्टैंड और पार्किंग तय करने के निर्देश देने की अपील की है। अब 22 अगस्त को कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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