Nagpur: विदर्भ के पंढरपुर कहे जाने वाले श्री क्षेत्र धापेवाड़ा में उमड़ी भक्तों की भीड़
सावनेर: प्रति तीन वर्ष के बाद पड़ने वाले पुरुषोत्तम मास जिसे अधिक मास तथा मल मास भी कहा जाता है. इस अधिक मास में पवित्र नदियां तथा तिर्थस्थलों पर स्नान तथा दान का महत्व पुराणों में वर्णित है. इस वर्ष का यह अधिक मास इस लिए भी महत्वपूर्ण क्योंकि सावन मास व अधिक मास साथ-साथ होने का संयोग बना है.
इस अधिक मास में क्षेत्र ही नहीं बल्कि नागपुर, छिंदवाडा आदी जिलों से श्रद्धालु जन शहर की कोलार नदी स्थित ऋषी घाट, केलवद स्थित कपीलेश्वर, बीना संगम तथा विठ्ठल भक्त श्री संत कोलबा महाराज की तपस्या से अभिभुत एव भगवान विठ्ठल के कर कमलो से पावन विदर्भ का पंढरपूर कहलाने वाले धापेवाडा में आते हैं. इस समय यहां भक्तों का तांता लगा हुआ है.
जो विठ्ठल भक्त किन्ही कारणों से पंढरपूर नहीं पहुंच पाते वे धापेवाडा पहुंचकर सर्वप्रथम मंदिर के करीब से बहने वाली चंद्रभागा नदी में स्नान कर भगवान विठू माऊली का आशिर्वाद प्राप्त करते हैं.
इस अधिक मास में भी धापेवाडा स्थित चंद्रभागा नदी के घाटों पर स्नानादी हेतू बडी संख्या में भाविक पहुंचते हैं. यह दृश्य देखकर ऐसा लगता है मानो पंढरपूरी नगर यहां साकार हो गई है.
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