चुनावी हलफनामा मामला: सीजेएम अदालत में हाजिर हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बयान कराया दर्ज

नागपुर: जमीन से जुड़े मामले चुनावी हलफनामा में छुपाने मामले को लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज शनिवार को जिला व सत्र न्यायालय पहुंचे। जहां मामले पर उपमुख्यमंत्री ने मामले पर अपना बयान दर्ज कराया। फडणवीस सुबह 11.55 बजे केएमएफसी के अदालत नंबर तीन में पहुंचे और डेढ़ बजे निकले। उपमुख्यमंत्री करीब डेढ़ घंटे अदालत में रहे। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई छह मई को होगी।
फडणवीस ने मामले को बताया महत्वहीन
वहीं इस मामले पर उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने इसे महत्वहीन बताया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, “यह काफी पुराना मामला है। जिन लोगो ने यह आरोप लगाया था, उन्होंने इसे वापस ले लिया है। इसलिए यह एक महत्वहीन मुद्दा है।”
असल में मामला क्या है ?
वर्ष 1998-99 के दौरान जब देवेंद्र फडणवीस नागपुर के मेयर थे, तब उन्होंने मेयर के रूप में एक भूमि मामले में कुछ फैसले लिए थे। इस संबंध में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे। हालाकि उन दोनों ही मामलों में देवेंद्र फडणवीस को जमानत मिल गई थी. इस बीच देवेंद्र फडणवीस ने साल 2014 के विधानसभा चुनावों के लिए अपने नामांकन पत्र के साथ दाखिल हलफनामे में किसी भी आपराधिक मामले का उल्लेख नहीं किया। जिसके बाद इस मुद्दे पर एड सतीश उके ने जिला एवं सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। फिर यह मामला हाईकोर्ट फिर सुपीम कोर्ट उसके बाद दोबारा इस मामले की सुनवाई ज़िला सत्र अदालत में हो रही है। सतीश उके ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेता ने 2014 में झूठा हलफनामा दायर किया था और 1996 और 1998 में दर्ज धोखाधड़ी और जालसाजी दो आपराधिक मामलों को छिपाया था।
जिसने लगाया आरोप वह खुद जेल में
गौरतलब है कि, जिस सतीश ऊके वकील ने फडणवीस पर आपराधिक मामले छुपाने का आरोप लगाया है, वह खुद जेल में हैं। पिछले साल 31 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने ऊके को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। तब से ऊके जेल में हैं। ऊके को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का बेहद करीबी माना जाता है। 2021 में सामने आए फ़ोन टैपिंग मामला हो या नितिन गडकरी के खिलाफ दर्ज कराया मामला दोनों ही केस में सतीश ऊके पटोले का पक्ष अदालत में रख रहे थे।

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