इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव को मिला भक्तों का उत्तम प्रतिसाद, पीओपी की मूर्तियों में आई तीन प्रतिशत की कमी

नागपुर: “गणपति बप्पा मोरया...पुढच्या वर्षी लवकर या” के जय घोष के साथ श्री गणेश का विसर्जन हुआ। भगवान गणेश के विसर्जन के लिए नगर निगम ने शहर के दस जोन सहित कोराडी में विशेष इंतजाम किए थे। विसर्जन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को, विसर्जन स्थल पर किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए नगर निगम आयुक्त एवं प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी ने नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराई जा रही आवश्यक सुविधाओं पर सीधी नजर रखी थी।
शहर के सभी विसर्जन कुंडों में कुल 1 लाख 65 हजार 505 प्रतिमाएं विसर्जित की गईं। इस वर्ष के गणेशोत्सव को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मनाने के प्रशासन के आह्वान को गणेश भक्तों ने भरपूर समर्थन दिया। इस बार पीओपी की मूर्तियों की संख्या कम नजर आई।
419 से अधिक कृत्रिम विसर्जन टैंक
इस वर्ष भी उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार नागपुर शहर के सभी तालाबों में मूर्ति विसर्जन करने पर प्रतिबंध था। इसके लिए शहर के सभी दस जोन के तहत विभिन्न हिस्सों में 419 से अधिक कृत्रिम विसर्जन टैंक की व्यवस्था की गई थी। साथ ही सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों द्वारा स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की बड़ी मूर्तियों के विसर्जन के लिए कोराडी में एक विशाल विसर्जन टैंक की व्यवस्था की गई थी। वहीं, विधायक प्रवीण दटके की निधि से जर्मनी से लाई गई 12 विसर्जन कुंडों की व्यवस्था चिटनिस पार्क में की गई।
पीओपी की मूर्तियों में कमी
इस साल गणेशोत्सव के दौरान 17 सितंबर तक शहर के सभी विसर्जन कुंडों में कुल 165505 मूर्तियों का विसर्जन किया जा चुका है। विसर्जित की गई कुल एक लाख 65 हजार 505 मूर्तियों में से 160809 मूर्तियाँ मिट्टी की और केवल 4696 मूर्तियाँ पीओपी की हैं।
निर्माल्य रथों की व्यवस्था
नगर निगम द्वारा 12 विशेष निर्माल्य रथों की व्यवस्था की गई थी और गणेशोत्सव के दौरान सभी गणेश मंडलों से श्रद्धापूर्वक निर्माल्य एकत्र किया गया था। नगर पालिका इस उत्पादन को संसाधित करेगी और इससे उर्वरक का उत्पादन करेगी। नगर पालिका द्वारा इन विसर्जन स्थलों की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दिया गया। 419 विसर्जन स्थलों पर कहीं भी गंदगी न रहे, इसके लिए 1132 कर्मचारी लगातार कार्यरत थे। विसर्जन स्थलों से 169.72 टन निर्माल्य एकत्र किया गया है। इसके अलावा कृत्रिम विसर्जन तालाबों में मूर्तियों के विसर्जन के बाद मूर्तियों को निकालने का काम स्वच्छता समूह की एक विशेष टीम द्वारा किया गया।

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