झिंगाबाई टाकली में समस्याओं का अंबार, सीवर के गंदे पानी से नागरिक परेशान
नागपुर: शहर के कई हिस्से बदहाल नागरी सुविधाओं से जूझ रहें है..ऐसे ही इलाकों में शामिल है। झींगाबाई टाकली इलाके के कई परिसर सीवर के गंदे पानी से उत्पन्न होने वालीं समस्या से हर दिन दो चार हो रहें है। लेकिन खास है कि इनकी सुनवाई शहर में मौजूद दोनों विकास एजेंसी एनएमसी और एनआयटी दोनों के पास नहीं है और ना ही जनप्रतिनिधियों के ही पास।
नागपुर शहर वो ख़ुशनसीब शहर है जिसके पास दो विकास एजेंसिया है। एक नागपुर महानगर पालिका दूसरा नागपुर सुधार प्रन्यास। लेकिन दिलचस्प है कि इन्ही दोनों विकास एजेंसियो से नागरिकों के लिए कभी कभी बड़ी दिक्कत हो जाती है। ये दिक्कत क्या है। शहर के झींगाबाई टाकली स्थित बसें कोलते नगर और बम्लेश्वरी नगर में रहने वाले हजारों लोगों से पूछा जा सकता है। परिसर के लोग बीते 6 महीने से सीवर के खुले में बहते गंदे पानी से परेशान है। हालत यहाँ तक कि इन लोगों के घरों में मौजूदा पानी के प्राकृतिक साधन जैसे कुए खराब हो चुके है। गंदगी और बीमारी के साये में रहना तो मानो इनकी मज़बूरी बन चुकी हो।
जमीन में जमा पानी किसी छोटे तालाब कि शक्ल लें चुका है। यह तालाब सीवर के पानी का है। इस समस्या से तंग आ चुके नागरिक प्रशासन से लेकर नेता सब कि दहलीज पर अपनी फरियाद पहुंचा चुके है। लेकिन सुनवाई कही नहीं है। यह जिस स्थिति में है उसके लिए एनएमसी और एनआईटी भी जिम्मेदार है। नागरिकों कि दिक़्क़ते कई तरह कि है घर में कोई कार्यक्रम और सार्वजनिक कार्यक्रम होने को लेकर भी चिंता है।
चोक हो चुकी सीवर लाइन से निकलने वाला गंदा पानी सिर्फ लोगों के घरों में घुस चुका है बल्कि पानी कि बोरिंग मशीन में भी। इलाके में लगी ज्यादातर बोरिंग मशीन का पानी दूषित हो चुका है। जबकि विकास एजेंसियो का झगड़ा इसलिये शुरु है कि नागरिकों को इस समस्या से निजाद दिलाने के लिए पैसा, समय, मेहनत लगाने कि जिम्मेदारी किसकी है।
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