Nagpur: नहीं रुक रही बाघों की मौत, 22 दिनों में 11 बाघों की गई जान
नागपुर: राज्य में बाघों की मृत्यु दर तेजी से बढ़ रही है। बुधवार को दो बाघों की मौत की खबर सामने आई। वर्धा जिले के समुद्रपुर वनक्षेत्र अंतर्गत गिरड सहवान क्षेत्र में समुद्रपुर-गिरड राजमार्ग पर धोंडगांव के पास आज सुबह तड़के एक भारी वाहन की टक्कर से चार महीने की मादा बछड़े की मौत हो गई। इस बीच, पेंच बाघ परियोजना के पश्चिमी पेंच के नागलवाड़ी में एक और बाघ की मौत की खबर मिली है। मृत बाघ लगभग सड़ी-गली अवस्था में है, जिससे पेंच प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
राज्य में पहली बार नए साल के पहले 22 दिनों में 11 बाघों की मौत हुई है। इनमें से दो बाघों का शिकार किया गया। दो बछड़े भूख से मर गए हैं। दो बाघों की मौत संदिग्ध है। रेल और सड़क दुर्घटनाओं में दो बाघों की मौत हो गई। रेल दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर सड़क दुर्घटना में एक बाघ की मौत हो गई। बाघों की मृत्यु के कारण अलग-अलग हैं तथा इनमें से कई मौतें वन क्षेत्रों के बाहर होती हैं।
इस मौत ने न केवल बाघों के अवैध शिकार के खतरे को उजागर किया है, बल्कि वन क्षेत्र के बाहर प्रबंधन में जवाबदेही की कमी को भी दर्शाया है। बाघों की मौत की खबरें शवों के सड़ने के बाद सामने आ रही हैं। इस मृत्युलेख से यह भी स्पष्ट होता है कि पर्यटन और प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने वाला विभाग क्षेत्रीय स्तर पर अपनी पकड़ खो रहा है। बाघ गलियारों और उनके संरक्षण पर काम कर रहे सेवानिवृत्त अधिकारियों और वन्यजीव उत्साही लोगों ने भी इस पर खेद व्यक्त किया।
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