नक्सली समर्थक साईबाबा को सर्वोच्च न्यायालय को बड़ा झटका, अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

नागपुर: नक्सली समर्थक माने जाने वाले प्रोफ़ेसर जेएन साईबाबा (J N Saibaba) को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court Of India) ने बड़ा झटका लगा है। अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर खंडपीठ (Nagpur Bench) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें न्यायालय ने सभी को दोषमुक्त मानते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को यह आदेश दिया। इसी के साथ योग्यता और कानून पर नए सिरे से फैसले के लिए मामले को उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया गया था।
ज्ञात हो कि, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 14 अक्टूबर 2022 को गडचिरोली जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें सत्र न्यायालय ने प्रोफ़ेसर साईबाबा सहित चार को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने, आतंकी संगठन को मदद और उकसाने, आतंकी संगठन से रिश्ते रखने को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसी के साथ सभी को छोड़ने का आदेश भी दिया था। इस दौरान राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय पर नियमों का पालन नहीं करते करने की बात कहते हुए आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका लगाई थी, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार ने यह आदेश दिया।
चार महीने के अंदर नई बेंच दे निर्णय
न्यायाधीशों ने याचिका पर आदेश देते हुए कहा कि, "मामले की गुणवत्ता पर विचार नहीं किया। इसलिए हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के हितों को ध्यान में रखते हुए कहा कि मामले की कार्यवाही दूसरी बेंच में पूरी की जाए और नई बेंच चार महीने के भीतर मामले पर फैसला दे। इसके अलावा, यह भी उल्लेख किया गया कि पक्षकार सभी आवश्यक मुद्दों को उच्च न्यायालय के समक्ष उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
2017 में सभी को दोषी मानते हुए सजा का किया था ऐलान
गडचिरोली जिले सहित आसपास के क्षेत्रों में हुई नक्सली घटनाओ का जिम्मेदार मानते हुए दोषी ठहराया था। गडचिरोली जिला व सत्र न्यायालय ने साईबाबा सहित महेश करीमन तिर्की, हेम केशवदत्त मिश्रा, प्रशांत राही नारायण सांगलीकर, पांडु पोरा नरोटे और विजय नान तिर्की को दोषी ठहराया। 7 मार्च 2017 को सत्र न्यायालय ने विजय तिर्की को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई, जबकि अन्य सभी अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उन सभी पर कुल तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके खिलाफ सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

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