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Nagpur

करुणा का ग्लोबलीसाशन कब होगा, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पूछा सवाल


नागपुर: नागपुर में जी-20 और सिविल 20 हुई। यहां भी करुणा ही मुख्य विषय रहा। भारत के लोग वहां थे उनके द्वारा विषय आया व्यापार के ग्लोबलाइजेशन का। आप बाते करते हो लेकीन करुणा का ग्लोबलायजेशन कब होगा? मंगलवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत दीनदयाल थाली के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए यह बात कही। इसी के साथ संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि, वर्तमान में करुणा का ग्लोबलायजेशन की आवश्यकता है मनुष्य के उद्धार का वह सही उपाय है। 

सारी जरूरतें पूरी करने जनता भी आए सामने 

संघ प्रमुख ने कहा, “वास्तव में 148 करोड़ लोगों के समाज को चलना यह केवल शासन-प्रशासन नहीं कर सकता। ये देश, समाज चलना है तो उसका दायित्व प्रत्येक पर आता है, स्वास्थ्य और शिक्षा दो बाते रोटी, कपडा, मकान जैसी अनिवार्य आवश्यकता बन गई है। सब को चाहिये, सबको चाहिये तो इतने बड़े समाज में केवल शासन-प्रशासन उसकी मांग पूरी नही कर सकता, वो देने के लिये समाज का भी हाथ लगाना पड़ेगा।”

सेवा में केवल देना है लेना नहीं 

संघ प्रमुख ने कहा, “सेवा की भावना मे अपनापन है, स्वार्थ नहीं है, कुछ पाना नहीं है, देना ही देना है। क्यों देना है अपना है इसलिये देना है, छोटा है कि बड़ा है, पैसे वाला है कि गरीब है, अपने मन से जब हम सेवा करते है तब कोई गरीब या अमीर नही होता, कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। कोई इस भाषा का उस भाषा का नही होता, इस जाति का उस जाति का नही होता।”

उन्होंने आगे कहा, “उस पूजा को मानने वाला इस पूजा को मानने वाला नहीं होता। जैसा भगवान ने हमे बनाया वैसा शुद्ध मानव बनके यह काम करना चाहिये। जिसकी सेवा करते है वो वास्तव मे वह हमें अवसर देता है अपने जीवन की दुर्गंध को हटाने का, सेवा करने से हम पवित्र होते है। हमारा जीवन अच्छा होता है, हमारे जीवन की बदबू जाकर खुशबू आती है, जिसकी सेवा करते उसका उपकार हम पर है, सेवा मे कभी अहंकार नहीं आता, ये सेवा ऐसी उपकारी है, प्रत्येक मनुष्य को सच्चा मनुष्य बनाने का साधन सेवा है।”

बराबरी आने तक सेवा की आवश्यकता

समाज में बराबरी को लेकर भागवत ने कहा, "बहुत क्षेत्र पड़ा है हमारे समाज के सब लोग एक दुसरे की सहायता से बराबरी मे आ जाये तब तक अपने देश मे सेवा की आवश्यकता है। और हमारे देश मे सब लोग बराबरी मे आने के बाद संपूर्ण दुनिया कि मानवता इस प्रकार है इसी साधन से बराबरी मे आ जाये तब तक भारत के लोगों को इसे जारी रखना है।"