संघ दशहरा रैली: रोजगार, जनसंख्या नीति, धर्म के नाम हिंसा पर बोले मोहन भागवत, जाने भाषण की प्रमुख बातें

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आज 97 स्थापना दिवस है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नागपुर के रेशमबाग में दशहरा सभा का आयोजन किया है। इस दौरान संघ की सभा में पहली बार महिला मुख्य अतिथि शामिल हुई। संघ के उत्सव में पद्मश्री संतोष यादव शामिल हुई। अपने इस संबोधन में भागवत ने बढ़ती जनसँख्या, रोजगार, धर्म के नाम पर हिंसा, राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा पर से घुसपैठ, समाज में महिलाओं की भागीदारी सहित विविध मुद्दों पर अपनी बात कही।
जाने भाषण की प्रमुख बातें
हमें अपनी महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। महिलाओं के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता। विश्व में हमारी प्रतिष्ठा और साख बढ़ी है। जिस तरह से हमने श्रीलंका की मदद की, और यूक्रेन-रूस संघर्ष के दौरान हमारे रुख से पता चलता है कि हमें सुना जा रहा है।
हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौट रही है-कोविड और विश्व अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि यह आगे बढ़ेगा। खेलों में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। परिवर्तन दुनिया का नियम है, लेकिन सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए।
दूसरे प्रकार की बाधा जो हमारे सनातन धर्म में बाधा डालती है, वह उन शक्तियों द्वारा निर्मित होती है जो भारत की एकता और प्रगति के विरोधी हैं। वे नकली कथाएं फैलाते हैं, अराजकता को प्रोत्साहित करते हैं, आपराधिक कृत्यों में शामिल होते हैं, आतंक, संघर्ष और सामाजिक अशांति को बढ़ावा देते हैं।
यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति से छात्र उच्च संस्कारी, अच्छे इंसान बनें जो देशभक्ति से भी प्रेरित हों- यही सबकी इच्छा है। समाज को इसका सक्रिय रूप से समर्थन करने की जरूरत है।
रोज़गार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सराकरी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं? किसी भी समाज में सराकरी और प्राइवेट मिलाकर ज़्यादा से ज़्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है.
जनसंख्या को संसाधनों की आवश्यकता है। यदि यह बिना संसाधनों का निर्माण किए बढ़ता है, तो यह एक बोझ बन जाता है। एक और दृष्टिकोण है जिसमें जनसंख्या को एक संपत्ति माना जाता है। हमें दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सभी के लिए जनसंख्या नीति पर काम करने की जरूरत है।

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