शरद पवार,भुजबल के बयान पर बोले पटोले-कांग्रेस की भूमिका भाजपा विरोधी दल साथ रहे
नागपुर: हर दिन नई करवट बदलने वाली महाराष्ट्र की राजनीति मौजूदा समय में अजित पवार के इर्दगिर्द घूम रही है.फ़िलहाल के समय में सामने आ रहे राजनीतिक बयानों को अजित पवार की राजनितिक महत्वकांक्षा और भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है. सवाल महाविकास आघाड़ी गठबंधन को लेकर भी उठ रहे है. इसी बीच सोमवार सुबह नागपुर में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि पत्रकार से बात करते है कहा की कांग्रेस की भूमिका स्पष्ट है, हमारी भूमिका है कि हम भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों के साथ मिलकर लड़ेंगे, महाविकास अघाड़ी और पार्टी मित्रों के साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ने की हमारी पूरी तैयारी है है.नाना पडोले ने यह बयान अमरावती में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए दिया.
अमरावती में शरद पवार ने क्या कहा?
शरद पवार ने गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि "अब वे यह कैसे बता सकते हैं कि 2024 में महाविकास अघाड़ी साथ मिलकर लड़ेंगे या नहीं, लेकिन महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर काम करने की इच्छा तो है, लेकिन,कुछ मुद्दों को लेकर जगह के आवंटन को भी देखना होगा। हालांकि उनके इस बयान से राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है. पिछले कुछ दिनों से राज्य में अजित पवार की बीजेपी में एंट्री को लेकर काफी चर्चा हो रही है.
महाराष्ट्र राज्य की कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने शरद पवार के बयान पर अपनी प्रक्रिया बताते हुए कहा कि गठबंधन में शामिल लोगों की भूमिका अलग हो सकती है. लोकतंत्र खतरे में है, किसान संकट में हैं। महंगाई से किसान परेशान, जो साथ रहेगा उसे हम साथ लेकर चलेंगे। पटोले ने गोंदिया में दिए गए छगन भुजबल के बयान पर भी प्रतिक्रिया देते कहा कि, हो सकता है कि भुजबल ने महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार अस्थिरता के आधार पर बात की हो, भुजबल के बयान का आधार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की उम्मीद को लेकर हो सकता है.उस आधार पर महाराष्ट्र में कुछ भी हो सकता है।
छगन भुजबल ने गोंदिया में क्या कहा
गोंदिया में मीडिया से बात करते हुए कहा भुजबल ने कहा था कि मौजूदा सरकार स्थिर है लेकिन मुख्यमंत्री बदल सकता हैं, अजित पवार के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखने वाले बयान पर भुजबल ने कहा कि राजनीति में काम करने वाला हर नेता संत नहीं हो सकता, उसकी भी इच्छाएं होती हैं.हर किसी की इच्छा हो सकती है की मौजूदा पद से बड़े पद पर जाये।
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