देश में वीर सावरकर कोई मुद्दा नहीं, शरद पवार बोले- पहले हमने जो बात कही वह हिन्दू महासभा के लिए थी

नागपुर: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने जब से वीर सावरकर (Veer Sawarkar) को लेकर बयान दिया है, महाराष्ट्र की सियासत गरमाई हुई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) महाविकास अघाड़ी (MVA) पर हमलावर है। वह बयान के विरोध में राज्य भर में सावरकर गौरव यात्रा निकाल रही है। वहीं इसको लेकर एमवीए में भी सब ठीक नहीं। उद्धव गुट ने राहुल के बयान पर नाराजगी जताई है। इसी बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) ने इसको लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि, "देश में सावरकर कोई मुद्दा नहीं है। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, उनके खिलाफ पहले जो बातें की गई वह व्यक्तिगत नहीं बल्कि और हिन्दू महासभा के लिए था।"
शरद पवार दो दिन के नागपुर दौरे पर पहुंचे है। जहां उन्होंने पत्रकारों से बात की। इस दौरान सावरकर के पूछे सवाल पर जवाब देते हुए पवार ने कहा, "एक बार हम जब 20 पोलिटिकल पार्टी के नेता जब बैठे थे, उस डिस्कशन मे कौन से मेजर इश्यू देश के सामने है, उस मीटिंग में मैंने कहां कि आज जिनके हाथ मे देश की हुकुमत है उनका जो तरीका है उस बारे में हमें सोचने की आवश्यकता है। आज सावरकर यह नॅशनल इश्यू नही है। ये पुरानी बात है कि हमने सावरकर के खिलाफ कुछ बाते कही थी लेकिन वह व्यक्तिगत नही थी हिंदू महासभा के बारे मे थी।"
सावरकर के बलिदान को नजरअंदाज नही कर सकते
एनसीपी सुप्रीमो ने कहा, “दुसरी एक साईड है देश कि स्वतंत्रता के लिए जो बलिदान सावरकर ने किया उसे हम नजरअंदाज नही कर सकते। 30 साल पहले मैंने संसद कहां था उस बात को दोबारा यहाँ करता हूँ। सावरकर जी के बारे मे हम लोगो को एक बात बहुत पसंद है वो बात उनका साइंटिफिक अप्रोच, सावरकर जी ने पब्लिकली कई बातें ऐसी कही थी और कि थी जिसमे सोशल एंगल था और सायंटिफिक एंगल था।” उन्होंने आगे कहा, “सोशल एंगल उन्होंने रत्नागिरी में मकान बनाया। मकान के सामने एक छोटा मंदिर बनाया, मंदिर मे पूजा करने के लिये उन्होंने एक वाल्मीकि समाज के आदमी को बुलाया। मुझे लगता है यह प्रोग्रेसिव बात है।”
सावरकर की सोच एक प्रोग्रेसिव
पवार ने कहा, "दूसरी बात उन्होंने कही इश्यू ऐसे थे जैसे गाय। गाय के बारे में कहां था कि गाय यह उपयुक्त पशु है, उपयोग हो तो उसका लाभ ले और उपयोग ना हो तो उसका अन्य उपयोग करें, ऐसी कई बाते जो सावरकर ने कही वह प्रोग्रेसिव थी।" उन्होंने कहा, "उस बैठक में मैने कहां था कि हमें सावरकर कि यह साइड देखनी चाहिये। आज सावरकर नहीं है, जो नही है उनके बारे में कोई विषय को लेकर चर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है, देश के सामने जो मुद्दे हैं, उसमें सावरकर का मुद्दा नहीं है।"

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