विदर्भ राज्य आंदोलन की बागडोर पीके के पास, 20 सितंबर को आएंगे नागपुर; विरोधियों के खोला मोर्चा

- आगे की रणनीति का करेंगे खुलासा
नागपुर: चुनावी रणनीतिकार के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने राजनीतिक दलों को चुनाव में जीत दिलाने के साथ साथ अब राज्य निर्माण करने काम शुरू कर दिया है। पीके जल्द ही पृथक विदर्भ के लिए चलाये जा रहे आंदोलन की रणनीति कैसी हो इसका खुलासा करने वाले हैं। इसके लिए कुमार 20 तारीख को नागपुर पहुंचने वाले हैं। इस दौरान वह विदर्भ राज्य के आंदोलन कर रहे संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात का मुख्य मकसद टुकड़ो में बटें समूहों को एक साथ लाने का काम भी करेंगे।
तीन महीने पहले से चल रहा काम
मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस नेता आशीष देशमुख ने तीन से चार महीने पहले पीके और उनकी टीम से संपर्क किया था। इसके बाद पीके की टीम विदर्भ के दौरे पर आई थी। अपने इस दौरे में टीम ने विदर्भ के समस्याओं, विभिन्न मुद्दों, किसान आत्महत्या सहित जितने भी मुद्दे थे जिसके वजह से अलग राज्य के निर्माण से उन्हें हल किया जा सकता है इसका अध्ययन किया। इसके बाद पूरी रिपोर्ट पीके को सौंपी थी। इसके आधार पर आगे अलग विदर्भ राज्य की मांग के लिए क्या रणनीति होगी वह तैयार की गई है।
विदर्भवादियों में पीके को लेकर दो फाड़
विदर्भ राज्य के निर्माण की मांग में लगे नेता पीके के नाम पर दो फाड़ होते दिख रहे हैं। कई संगठन जगह किशोर का समर्थन कर रहे हैं। कई इसका विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि, यह पृथक राज्य के आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश है। विदर्भ राज्य संघर्ष समिति के मुकेश मारसुरकर ने कहा कि, "कोई चुनावी रणनीतिकार कैसे किसी आंदोलन का रणनीति तय कर सकता है। जिसके पास बड़ा पैसा ही उसने पीके को बुलाया है। इसके कारण हमने बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है।"
अलग राज्य की मांग काफी पुरानी
राज्य पुनर्गठन के समय से ही विदर्भ राज्य की मांग की जा रही है, लेकिन तत्कालीन सरकार ने किसी कारण मांग को अस्वीकार करते हुए महाराष्ट्र के साथ इसका विलय कर दिया। उस समय वादा किया गया था कि, संयुक्त महाराष्ट्र में विदर्भ का विकास होगा, लेकिन इतने साल बाद भी विकास का सही से विकास नहीं हो पाया। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न यह क्षेत्र लगातार विकास के लिए तरसता रहा। इसी को लेकर पिछले कई सालों से विदर्भवादी नेता अलग राज्य के लिए काम कर रहे हैं। 2012 में अलग राज्य के लिए तेज आंदोलन किया गया, लेकिन उसके बाद कोई तेज आंदोलन नहीं हुआ।
देशमुख कर रहे अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश
पीके के इस दौरे पर आशीष देशमुख का नाम चर्चा में बना हुआ है। देशमुख के निमंत्रण पर ही किशोर की कंपनी के लोग विदर्भ के दौरे पर आए थे और सर्वे किया था। इसी के आधार पर किशोर ने रणनीति बनाई है। देशमुख की राजनीति अलग विदर्भ के नाम पर ही शुरू हुई थी। 2012-2013 में भाजपा में रहते हुए अलग राज्य के अनशन पर बैठे थे। वहीं भाजपा नेता गडकरी ने उनका अनशन तुड़वाया। विदर्भवादी नेता लगातार देशमुख पर विदर्भ राज्य के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने का आरोप लगते रहे हैं। इस बार भी यही आरोप उन पर लगाया जा रहा है। विरोधियों का कहना है कि, देशमुख पीके के सहारे विदर्भ राज्य आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बनना चाहते हैं।

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