Silkyara Tunnel में फंसे मजदूरों के लिए संकटमोचन बना WCL का रेस्क्यू विभाग, मिशन जिंदगी में निभाई प्रमुख भूमिका
नागपुर: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिल्क्यारा की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 श्रमजीवियों को शकुशल निकाल लिया गया है। 17 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद सभी को सकुशल बाहर निकाला गया है। भारत सरकार ने सभी श्रमजीवियों को सही सलामत निकलने के लिए ऑपेरशन जिंदगी चलाया गया था। जिसमें उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकलने के लिए पुरानी से लेकर नई तकनीक का उपयोग किया गया। इसी अभियान वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने भी प्रमुख भूमिका निभाई, जिसके बदौलत श्रमजीवियों को टनल में सुरक्षित रखा गया।
12 नवंबर को निर्माणाधीन टनल में भूस्खलन हो गया। जिसके कारण अंदर काम कर रहे 41 लोग उसमें फंस गया। फंसे कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए सरकार ने मिशन जिंदगी शुरू की। एनडीआरएफ की अगुवाई में शुरू इस अभियान में एसडीआरएफ सहित खनन में उत्कृष्ट संस्थानों को भी शामिल किया गया। जिसमें वेस्टर्न कोलफील्ड्स भी शामिल थी।
बचाव अभियान में डब्ल्यूसीएल की तरफ से रेस्क्यू टीम काम में लगी हुई थी। रेस्क्यू अभियान के जर्नल मैनेजर दिनेश बिसेन अपने दो अन्य साथी एम विष्णु और एके राणा के साथ इस ईशान में शामिल हुए। इस दौरान WCL की टीम पर मजदूरों को ऑक्सीजन पहुंचाने और डीलिंग के दौरान जहरीली गैस जहां मजदुर है वहां न पहुंचे, इसका जिम्मा था।
टीम ने वर्टीकल खुदाई के दौरान गैस डिटेक्टरों का उपयोग कर आक्सीजन के स्तर पर अपनी नजर बनाये रखी. ताकि श्रमिकों को आसानी से सांस लेने में मदद मिल सके. आक्सीजन का स्तर गिरते ही. मजदूरों तक आक्सीजन पहुचायी गयी. दरअसल, पहाड़ की चट्टानों को काटने के लिए कई जटिल मशीनें तैनात की गईं थी. खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्ससर्जन होता है। ऐसे में ऑक्सीजन प्रतिशत को 20.09 पर बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी.
लिहाजा डब्ल्यूसीएल टीम इसे सीमा के भीतर रखने में कामयाब रही। टीम ने आक्सीजन का स्तर बनाये रखने के लिए पंखे चलाये ताकि कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसें बाहर निकल जाएं और अंदर मौजूद कर्मचारी सांस ले सकें। पंखे चलाने के लिए ड्रिलिंग रोकनी पड़ी, ताकि कोई कंपन न हो. जब भी ऑक्सीजन का स्तर गिरता था, पंखे चालू करने पड़ते थे।
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