कब शुरू होगा नागपुर एयरपोर्ट का रीडेवलमपेंट वर्क, क़ानूनी मसले से हो रहा बड़ा नुकसान
नागपुर: क़ानूनी मसलों के चलते नागपुर एयरपोर्ट के रीडेवलमपेंट का काम लंबे समय से प्रलंबित है, वजह क़ानूनी है. नागपुर में सिर्फ एयरपोर्ट ही नहीं बल्कि मल्टीमॉडल कार्गो हब का भी निर्माण किये जाने की योजना है. लेकिन जो देरी हो रही है उसकी वजह से नागपुर और मध्य भारत में व्यापार को बड़ा नुकसान हो रहा है. औद्योगिक क्षेत्र के मुताबिक जल्द से जल्द इस विवाद का निपटारा होना जरुरी है.
मल्टी मॉडल इंटरनेशनल कार्गो हब और एयरपोर्ट नागपुर का मसला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की क्यूरेटिव्ह यानि की उपचारात्मक याचिका पर सुनवाई को मंजूरी प्रदान कर दी है. बीते कई वर्षो से नागपुर एयरपोर्ट के रीडेवलपमेंट का मसला क़ानूनी पेचीदगियों में फंसा हुआ है. जिसका खामियाजा न केवल यात्री बल्कि नागपुर समेत मध्य भारत का पूरा औद्योगिक क्षेत्र भुगत रहा है.
नागपुर एयरपोर्ट के रीडेवलपमेंट की पहल तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कार्यकाल में शुरू हुई थी. राज्य के सभी एयरपोर्ट का नियंत्रण करने वाली कंपनी एमआयडीसी ने नागपुर एयरपोर्ट का संचालन करने वाली कंपनी मिहान इंडिया लिमिटेड के माध्यम से टेंडर निकाला था. जिसे जीएमआर कंपनी ने जीता था.
कंपनी की योजना एयरपोर्ट के नए सिरे से विकास के साथ मल्टीमॉडल कार्गो हब के निर्माण की थी लेकिन कंपनी के टेंडर जीतने के बाद यूजर डेवलमेंट फ़ीस को लेकर विवाद खड़ा हो गया. नागरिक उड्ययन विभाग की आपत्ति के बाद जीएमआर ने मिहान इंडिया लिमिटेड को राजस्व में दिए जाने वाली हिस्सेदारी को 6 प्रतिशत से बढाकर 15 % कर दिया।
मगर नागपुर एयरपोर्ट से होने वाले मुनाफ़े और जीएमआर द्वारा दिए जाने प्रॉफिट शेयर को लेकर विवाद लगातार गहराता गया. टेंडर जीतने के बाद भी राज्य सरकार ने जीएमआर को कंसेशन अग्रीमेंट नहीं दिया और हाईकोर्ट में फैसला जीएमआर के पक्ष में आने के बाद मिहान इंडिया लिमिटेड ने जीएमआर के टेंडर को रद्द कर दिया। इसके बाद से मसला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है जो अब भी जारी है.. लेकिन नए एयरपोर्ट का काम नहीं होने की वजह से मध्य भारत में व्यापारिक गतिविधियां लगातार प्रभावित हो रही है.
नागपुर में एयरपोर्ट के संचालन के लिए जीएमआर नागपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड नामक कंपनी का गठन भी हुआ था. जिसका मिहान इंडिया लिमिटेड से करार था। लेकिन जीएमआर को समय पर अधिकार ही नहीं दिए गए. नागपुर एयरपोर्ट के विकास के लिए जो प्रपोजल बना था उसमें 2400 करोड़ रूपए के निवेश से न केवल यात्री सुविधाएं बेहतर की जानी थी बल्कि नागपुर को बड़े कार्गो हब के रूप में विकसित किया जाना था.
वेद के पूर्व अध्यक्ष शिवकुमार राव जो खुद लॉजिस्टिक के व्यापार से जुड़े हुए है. उनसे बेहतर इस परियोजना का महत्व कौन जान सकता था. राव कार्गो हब की नागपुर में जरुरत को रेखांकित करते हुए विवाद को निपटाकर जल्द से जल्द इसे शुरू किये जाने की मांग उठा रहे है.
नागपुर एयरपोर्ट से जुड़ा यह सारा विवाद टेंडर प्रक्रिया के निकाले जाने और कंपनी द्वारा टेंडर प्रक्रिया जीत लिए जाने के बाद नागपुर एयरपोर्ट से हुए राजस्व से जुड़ा हुआ है. इस विवाद को कई साल बीत चुके है लेकिन इस विवाद का बड़ा खामियाजा औद्योगिक क्षेत्र को उठाना पड़ रहा है.
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