राम आ रहे... आज विराजमान होंगे रामलला; मंगल ध्वनियों से गूंज उठेगा भव्य-नव्य मंदिर

रिपु रन जीति सुजस सुर गावत। सीता सहित अनुज प्रभु आवत॥
सुनत बचन बिसरे सब दूखा। तृषावंत जिमि पाइ पियूषा॥
भावार्थ: शत्रु को रण में जीतकर सीता और लक्ष्मण सहित प्रभु आ रहे हैं; देवता उनका सुंदर यश गा रहे हैं। ये वचन सुनते ही भरत सारे दुःख भूल गए। जैसे प्यासा आदमी अमृत पाकर प्यास के दुःख को भूल जाए।
पांच सदियों से जिस घड़ी का इंताजर राम भक्त कर रहे थे वह आ गई है। जगत के दाता मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अपने तीनों भाइयो के साथ अपने नव निर्मित घर (मंदिर) में विराजमान होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी साधू-संतो की मौजूदगी में वैदिक मंत्रो और मंगल ध्वनियों के साथ रामलला को विराजमान करेंगे। प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर को लेकर देशवासियों में उत्साह का माहौल है। बच्चे से लेकर बूढ़ो तक अपने राम के भव्य घर में आने का इंतजार कर रहे हैं।
सभी गणमान्य पहुंचे अयोध्या
प्राण-प्रतिष्ठा के लिए श्री राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र ने प्राण प्रतिष्ठा के लिए 8000 लोगों को निमंत्रण भेजा था। जिसमें साधू-संत, नेता, अभिनेता, उद्योगपति, खिलड़ी शामिल है। मंदिर समिति ने सभी अतिथियों को 21 जनवरी को ही आयोध्या पहुंचने का आवाहन किया था। जिसके अनुरूप सभी अतिथि एक दिन पहले ही अयोध्या पहुंच चुके हैं। वहीं प्राण-प्रतिष्ठा के मुख्य जजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 10 बजे अयोध्या पहुंचेंगे।
12.20 बजे से शुरू होगी प्राण-प्रतिष्ठा
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की विधि 22 जनवरी को दोपहर 12:20 बजे शुरू होगी। प्राण प्रतिष्ठा की मुख्य पूजा अभिजीत मुहूर्त में की जाएगी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है। यह कार्यक्रम पौष माह के द्वादशी तिथि (22 जनवरी 2024) को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में होगा।
84 सेकण्ड का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक का रहेगा। केवल 84 सेकंड का है। पूजा-विधि के जजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जहां प्रधानमंत्री रामलला की विग्रह में लगी पट्टी को खोलेंगे और काजल लगाएंगे। यह अनुष्ठान काशी के प्रख्यात वैदिक आचार्य गणेश्वर द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में 121 वैदिक आचार्य संपन्न कराएंगे। इस दौरान 150 से अधिक परंपराओं के संत-धर्माचार्य और 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तटवासी, द्वीपवासी, जनजातीय परंपराओं की भी उपस्थिति होगी।

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