सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की खैर नहीं; जब तक नुकसान की भरपाई नहीं, नहीं मिलेगी जमानत

नई दिल्ली: दंगो या विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाने वालों की अब खैर नहीं है। जिसके तहत जब तक दंगाइयों या ऐसे लोगों से नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती तब तक इन्हे जमानत नहीं मिलेगी। रविवार को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में बनी विधि समिति ने यह सुझाव दिया है। समिति ने कहा कि, यह कदम निश्चित रूप से ऐसे कृत्यों के खिलाफ निवारक कदम के रूप में काम करेगा।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान लंबे समय तक सार्वजनिक स्थानों और सड़कों को अवरुद्ध करने के मुद्दे से निपटने के लिए एक व्यापक कानून बनाया जाना चाहिए। आयोग ने सिफारिश की कि लंबे समय तक सार्वजनिक स्थानों को अवरुद्ध करने से निपटने के लिए एक नया व्यापक कानून बनाया जाए या संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता या भारतीय न्याय संहिता में इससे संबंधित एक विशिष्ट प्रावधान पेश किया जाये।
समिति ने सरकार से कहा, ‘‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम के तहत अपराधों से संबंधित आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि और सजा का डर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए एक निवारक कदम साबित होगा।'' इसने जमानत की शर्त को सख्त बनाने के लिए 1984 के कानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा।
आयोग ने कहा, ‘‘किसी संगठन द्वारा आहूत प्रदर्शन, हड़ताल या बंद के परिणामस्वरूप सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होता है तो ऐसे संगठन के पदाधिकारियों को इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध के लिए उकसाने के अपराध का दोषी माना जाएगा।'' इसने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति किसी देश के बुनियादी ढांचे का आधार है, जो आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए आवश्यक ढांचा प्रदान करती है।
आयोग ने मणिपुर में हाल की ‘‘जातीय हिंसा'', कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे, 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन और अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे प्रकरण देश को होने वाली क्षति और तबाही की कहानी हैं।
ज्ञात हो कि, हाल ही के वर्षो में देशभर में हुए आंदोलन और उसक बाद हुए दंगो में सरकारी सम्पति को बड़ा नुकसान हुआ है। सीएए के बाद देश भर में बने हालत और दिल्ली में हुए दंगो के कारण सरकार सहित आम नागरिकों को भी बड़ी परेशानी हुई रही। यही नहीं मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच हुए हिंसा सहित बंद के कारण राज्य सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इसी को देखते हुए केंद्र ने ऐसी स्तिथि को लेकर नियम बनाने के लिए समिति का गठन किया था। जिसने आज होने सुझाव दिए।

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