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रामलला आ रहे... 18 जनवरी को आसान में विराजेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम, वर्तमान प्रतिमा भी गर्भगृह में होगी स्थपित


अयोध्या: रामलला (Ramlala) के प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आते जा रहा है, वैसे ही कार्यक्रम से जुड़ी प्रमुख जानकारी सामने अति जा रही है। 18 जनवरी को मर्यादा पुरुषोत्तम बाल स्वरूप  में अपने सभी भाइयों के साथ गर्भगृह में विराजित होंगे। इस के साथ बीते 70 सालों से जिन मूर्तियों की पूजा की जा रही है, उन्हें भी गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। वहीं 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा प्राण प्रतिष्ठा किया जाएगा। 

सोमवार को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने आयोजित प्रेस वार्ता में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से संबंधित सभी जानकारी साझा की। जिसमें सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने यह बात कही। राय ने बताया कि, "18 जनवरी को रामलला की नवनिर्मित मूर्ति को गर्भगृह में जो स्थान निश्चित किया गया है वह स्थापित किया जाएगा। वहीं 22 जनवरी को विविध पूर्वक प्रधानमंत्री दोपहर को मूर्ति की स्थापना करेंगे।"



राय ने आगे बताया कि, "कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा कृष्णशिला पर निर्मित मूर्ति का चयन भगवान श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह के रूप में प्रतिष्ठित होने हेतु किया गया है।" इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, 20 से 21 जनवरी को रामलला के दर्शन नहीं होंगे। वहीं 23 तारीख से नए मंदिर से रामलला के दर्शन भक्त कर पाएंगे। 

गर्भगृह सहित सभी दरवाजे लगाने का काम पूरा 

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर एक तरफ जहाँ देशभर में उत्साह का माहौल है। वहीं दूसरी तरफ मंदिर निर्माण का काम भी बड़ी तेजी से पूरा किया जा रहा है। सोमवार को गर्भगृह के मुख्य द्वारा को लगाने का काम पूरा हो गया। इसी के साथ भूतल पर सभी 14 स्वर्ण मंडित द्वारों को लगाने का काम पूरा हो चूका है। 

प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित आयोजनों का विवरण:

1. आयोजन तिथि और स्थल:  भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।

2. शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं  का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।

द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे:

    • 16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन
    • 17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश
    • 18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास
    • 19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास
    • 19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास
    • 20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास
    • 20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास
    • 21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास
    • 21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास

3. अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य:  सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

4. विशिष्ट अतिथिगण: प्राण प्रतिष्ठा भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।

5. विविध प्रतिष्ठान: भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।

6. ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग: भारत के  इतिहास में प्रथम बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय होगा।

7. समाहित परंपराएँ: शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।

8. दर्शन और उत्सव: गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं।