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Nagpur

Assembly Election: पश्चिम नागपुर सीट में चल रही हवाएं किसका बिगाड़ेगी काम, भाजपा वापस पाएगी अपना गढ़ या कांग्रेस रखेगी बरकरार


नागपुर: आगमी विधानसभा चुनाव में सबसे रोचक चुनाव जिन सीटो पर होने वाला है या कहें सबसे ज्यादा नजर जिन सीटों पर होगी उसमें पश्चिम नागपुर विधानसभा सीट भी शामिल है। लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ चुनावी ताल ठोकने वाले विकास ठाकरे यहां से विधायक हैं। लोकसभा में गड़करी को टक्कर देने वाले ठाकरे फिर से एक बार यहां से विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए नजर आने वाले हैं। लोकसभा चुनाव में भले ठाकरे गडकरी के खिलाफ अच्छा चुनाव लडा हो लेकिन वह अपनी ही सीट से पीछे रहे। पश्चिम नागपुर में लोकसभा से जो हवा शुरू हुई है उसने यहां स्थिति को रोचक बना दिया है। चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि, भाजपा क्या इस बार अपनी सीट वापस लेगी या कांग्रेस इसे बरकरार रखेगी। आज की रिपोर्ट में जानेंगे इन सवालों का जवाब।

जैसे की आप को पता है, विकास ठाकरे यहां से विधायक हैं। वह नागपुर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में ठाकरे ने भाजपा नेता और दो बार के विधायक सुधाकर देशमुख को करीब सात हजार से कम वोटो से हराया था। ठाकरे को जहां 46.45 प्रतिशत यानी 83252 वोट मिले थे, वहीं देशमुख को 43.08 यानी 76,885 वोटों से संतोष करना पड़ा था। 

विधानसभा का इतिहास: 

पश्चिम नागपुर विधानसभा सीट का गठन 1957 में किया गया था। उसी वर्ष यहां विधानसभा का चुनाव हुआ था। सीट की बात करें तो यहां 14 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें सात बार कांग्रेस, छह बार बीजेपी और एक बार सीपीआई जीती हैं। पश्चिम नागपुर को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 1990 से 2014 तक यहां भाजपा का विधायक रहा है। सबसे पहले 1990 में विनोद गुडधे पाटिल पहली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते। वह 1999 तक विधायक रहे। राज्य के मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 1999 से 2004 तक यहां से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होते आएं। 

विधानसभा का जातीय समीकरण:

पश्चिम नागपुर विधानसभा सीट एक सामान्य वर्ग की सीट है। लेकिन यहां अच्छीखासी संख्या में मुस्लिम, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग मौजूद है। 2011 की जनगणना के अनुसार, विधानसभा में 72,609 अनूसूचित जाती के लोग हैं। इसी के साथ 28,388 अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। वहीं 40 हज़ार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता भी है। हालांकि, मौजूदा समय में यह संख्या बहुत बढ़ गई है। कुनबी मतदाता यहां निर्णय रहता है। अधिकतर जनसंख्या कुनबी समाज की है। जिसके कारण यहां कोई भी चुनाव लड़ता है वह कुनबी ही होता है। इसी के साथ यहां बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय समाज भी मौजूद है। 

विधानसभा के प्रमुख मुद्दे:

पश्चिम नागपुर शहर के सबसे विकसित और वीवीआईपी क्षेत्रों में से एक है। विधान भवन, सिविल लाइंस, राजभवन, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री निवास सहित मुख्यमंत्री सचिवालय भी इसी क्षेत्र में हैं। इसी के साथ शहर पुलिस मुख्यालय भी यहीं आता है। पश्चिम नागपुर की प्रमुख समस्याओं या मुद्दो की बात करें तो ड्रेनेज लाइन प्रमुख मुद्दा है। इसी के साथ बारिश के समय में सड़कों में पानी जमा होना भी एक मुद्दा बनकर आया है। इसी के साथ गोधनी सहित झिंगाबाई टाकली परिसर में मूलभूत सुविधाएं देना प्रमुख मुद्दो से एक है। इसी के साथ सदर, सीताबर्डी, जैसे क्षेत्रों में अतिक्रमण और ट्रैफिक समस्या भी बड़ा मुद्दा है। 

बदलाव की हवा या... 

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने विकास ठाकरे को चुनावी मैदान में उतारा था। ठाकरे ने अच्छा चुनाव लड़ते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी को जोरदार टक्कर दी। लेकिन वह जितने में नाकामयाब रहे। ठाकरे शहर की जिन विधानसभा सीटो में पीछे रहे उसमें पश्चिम नागपुर भी एक रही। ठाकरे करीब सात हज़ार वोटो से पीछे रहे। चुनाव की शुरुआत में सभी यह मानकर चल रहे थे कि, ठाकरे अपनी सीट से आगे रहेंगे लेकीन ऐसा नही हो सका। विधानसभा में ठाकरे की छवि अच्छी है लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणामों ने उनकी मुश्किल बढ़ा दी है। वही। भाजपा के लिए मौका मिल गया है कि, वह अपनी विधानसभा सीट को एक बार फ़िर जीत सकें। हालांकि, फाइनल परिणाम तो चुनाव के बाद ही सामने आएंगे