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Nagpur

Assembly Election 2024: मध्य नागपुर विधानसभा सीट पर भाजपा लगाएगी जीत का चौका या होगा बदलाव; आंकड़ों ने बताया परिणाम


नागपुर: मध्य नागपुर विधानसभा सीट यूं तो कांग्रेस का गढ़ रही है लेकिन 2009 में यहां जो सियासी गणित बदला वह लगातार चलता आ रहा है। बीते 15 साल से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। हालांकि, 2019 के चुनाव में ऐसा लगा की भाजपा हार जाएगी लेकिन आखिरी समय में वोटों का गणित ऐसा बना की जिसने भाजपा को इस बार फिर जीत दिला दी। 2024 के विधानसभा चुनाव में क्या है परिस्थिति? भाजपा रखेगी सीट बरकरार या कांग्रेस करेंगी वापसी। जानेंगे इस रिपोर्ट में। 


2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विकास कुंभारे ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने अपने निकटम प्रतिध्वंधी कांग्रेस उम्मीदवार बंटी शेलके को साढ़े चार हज़ार वोटों से हराया था। चुनाव में जहां कुंभारे को 75,692 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार शेल्के को 71,684 वोट से संतोष करना पड़ा था। 

विधानसभा का जान लें इतिहास

मध्य नागपुर विधानसभा सीट का गठन 1967 में की गई और इसी वर्ष यहां विधानसभा के चुनाव हुए। 1967 से लेकर 2004 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। इस दौरान कई नेता चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। जिसमें तीन मुस्लिम उम्मीदवार भी शामिल है। एमजे अग्रवाल, नवलचंद टोकसिया, भाऊ साहेब सुर्वे, मोहम्मद याकूब खान, शौकत रहमान कुरेशी, अनीस अहमद और बाजीराव यशवंत नारायण का नाम शामिल है। राज्य में जब दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनी तो अनीस अहमद को मंत्री भी बनाया गया। वहीं 2009 से इस सीट पर भाजपा के विकास कुंभारे विधायक हैं। 

संघ मुख्यालय इसी विधानसभा क्षेत्र में

आम तौर पर कांग्रेस हो या अन्य पार्टियां वह लगातार आरोप लगाती हैं कि, भाजपा नागपुर से चलती है। उसकी कमान संघ के पास है। आप को बता दें कि, संघ का मुख्यालय भी मध्य नागपुर के महल परिसर में स्तिथ है। इसी के साथ यह एक व्यापारिक क्षेत्र है। नागपुर शहर सहित जिले के सभी बड़े मार्केट इसी विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। इतवारी, गांधीबाग, महल इसमें शामिल है। मध्य नागपुर शहर का बेहद पुराना इलाका है। 150 साल पहले जब नागपुर शहर का गठन किया गया था तो इसी क्षेत्र के कुछ गांव को मिलाकर नागपुर शहर का गठन किया गया था। वहीं नागपुर के राजा भोसले का किला भी इसी क्षेत्र में मौजूद है। 

विधानसभा की जातियां समीकरण

मध्य नागपुर में जातियां समीकरण की बात करें तो यहां लगभग अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय बराबरी में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं। की संख्या 69,548 है। जो कुल मतदाता का 22.41 प्रतिशत है। इसी के साथ यहां अनुसूचित जनजाति भी बड़ी संख्या में रहती है जिसकी संख्या 64, 575 है। वहीं 29802 अनुसूचित जाति के मतदाता भी यहां मौजूद है। इन सब के बाद ओबीसी, जनरल सहित अन्य जातियों के लोग भी बड़ी संख्या में रहते है। शहर के अन्य भागों की तुलना में इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता बहुत है। जिसके चुनाव में ये फैक्टर बहुत हावी रहता है। इसी के साथ हलबा समाज भी यहां बेहद महत्वपूर्ण है। वर्तमान विधायक कुंभारे हलबा समाज से ही आतें हैं। 

मध्य नागपुर के प्रमुख मुद्दे 

मध्य नागपुर एक व्यापारिक केंद्र होने के कारण नागपुर शहर, जिले सहित अन्य जिलों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं, जिसके कारण यहां वाहनों की भारी भीड़ लगी रहती है। शहर का पुराना हिस्सा होने और सड़के छोटी होने के कारण यहां ट्रैफिक की समस्या लगातार बनी रहती है। इसी के साथ सड़क और ड्रेनेज एक प्रमुख मुद्दा है। वहीं सबसे बड़ा अगर कोइ मुद्दा है वह है हलबा समाज को आरक्षण मिलने का है। हलबा अनुसूचित जनजाति में शामिल है लेकिन उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। पिछले कई सालों से समाज आरक्षण की मांग पुरी करने की मांग कर रहा है।

नाराजगी और आरक्षण पड़ सकता है भारी 

वर्तमान विधायक कुंभारे 15 साल से यहां विधायक है। 2009 और 2014 के चुनाव में भाजपा ने यहां एक तरफा जीत हासिल की थी। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव से स्थिति बदलने लगी है। पिछले चुनाव में भाजपा के जीत का मार्जिन 40 हजार से कम होकर चार हजार तक पहुंच गया। वहीं हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा पीछे थी।  हलबा समाज के आरक्षण का मुद्दा, विधायक के प्रति जनता की नाराजगी सहित कई ऐसे फैक्टर है जिसके कारण आगमी विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर मुश्किल हो सकती है। हालांकि, आखिरी परिणाम तो चुनावी नतीजों से ही पता चलेगा।