उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका, शिंदे गुट ही असली शिवसेना; विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनाया फैसला
मुंबई: पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) को बड़ा झटका लगा है। 16 विधायकों के अयोग्यता मामले पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (Rahul Narvekar) ने अपना निर्णय सुना दिया है। जिसके तहत अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई वाली शिवसेना को असली शिवसेना बताया है। इसी के साथ ही अध्यक्ष ने विधायक भरत गोगावले (Bharat Gogawale) को चीफ व्हिप के तौर पर अपनी मान्यता दे दी है।
अयोग्यत की याचिका की ख़ारिज
अपना निर्णय सुनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने विधायकों की आयोग्य साबित करने वाली याचिका खरिज कर दी है। अध्यक्ष ने कहा कि, “विधायक संपर्क से बाहर हो गए हैं, केवल इसी कारण से विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है। इसके अलावा, यह भी साबित हुआ कि ठाकरे समूह के मिलिंद नार्वेकर, रवींद्र फाटक ने सूरत में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी। चूंकि यह साबित हो चुका है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान शिंदे की ही असली पार्टी है, इसलिए 21 जून 2022 को शिवसेना विधायक दल की बैठक से अनुपस्थिति के मुद्दे पर अयोग्यता का फैसला नहीं किया जा सकता है।"
इन विधायकों की बची सदस्य्ता:
- एकनाथ शिंदे (ठाणे)
- तानाजी सावंत (भूम परांदा)
- प्रकाश सुर्वे (मगाठाणे, मुंबई)
- बालाजी किनिकर (अंबरनाथ, ठाणे)
- लता सोनावणे (चोपड़ा, जलगांव)
- अनिल बाबर (खानापुर)
- यामिनी जाधव (बाइकुला, मुंबई)
- संजय शिरसाट (छत्रपति संभाजीनगर पश्चिम)
- भरत गोगवले (महाड, रायगढ़)
- संदीपन भुमरे (पैठन)
- अब्दुल सत्तार (सिल्लोड)
- महेश शिंदे (कोरेगांव)
- चिमनराव पाटिल (एरंडोल, जलगांव)
- संजय रायमुलकर (मेहेकर)
- बालाजी कल्याणकर (नांदेड़ उत्तर)
- रमेश बोरवणे (वैजापुर)
पार्टी प्रमुख किसी को नहीं हटा सकते
निर्णय सुनाते हुए नार्वेकर ने शिवसेना के संविधान में हुए संशोधन को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि, "उद्धव ठाकरे के पक्ष प्रमुख यानि पार्टी प्रमुख पद को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि, 1999 के संविधान के अनुसार पार्टी में पार्टी प्रमुख का कोई पद नहीं था। जिसके अनुसार, उद्धव ठाकरे का नेतृत्व असंवैधानिक था।"
उद्धव ठाकरे को विधायक नेता के पद से हटाने की याचिका पर बोलते हुए नार्वेकर ने कहा, "पार्टी प्रमुख को विधायक दल के नेता को हटाने का अधिकर नहीं है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही उन्हें हटा सकती है। वहीं उद्धव के पास कार्यकारणी का समर्थन नहीं था। इस अनुसार उद्धव ठाकरे के पास शिंदे को हटाने का कोई अधिकर नहीं है।"
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