जाति प्रमाणपत्र विवाद में रश्मि बर्वे को बड़ी राहत, हाईकोर्ट ने बहाल किया प्रमाणपत्र और सदस्य्ता

नागपुर: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में रश्मी बर्वे के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के आदेश को खारिज कर दिया। यह सुनवाई मंगलवार को जस्टिस अविनाश घरोटे और जस्टिस एम.एस. जावलकर की बेंच में हुई। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बर्वे के पक्ष में फैसला सुनाया।
अदालत ने जाति छानबीन समिति को निर्देश दिया कि वे रश्मी बर्वे को नया जाति प्रमाणपत्र जारी करें, जिसमें उनकी अनुसूचित जाति की मान्यता को बहाल किया जाए। इसके साथ ही, छानबीन प्रक्रिया के दौरान हुई परेशानियों के लिए समिति को बर्वे को 1,00,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश भी दिया गया।
यह मामला तब शुरू हुआ जब रश्मी बर्वे के चांभार अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को एक शिकायत के माध्यम से चुनौती दी गई थी। जांच के बाद, उनके प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया गया, जिससे उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले अपनी उम्मीदवारी गंवानी पड़ी। बर्वे के वकीलों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने उनके नामांकन रद्द करने पर रोक नहीं लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट से निराश होने के बाद, बर्वे ने हाई कोर्ट में पुनः अपील की, जिससे उन्हें न्याय मिला और उनका जाति प्रमाणपत्र बहाल किया गया। यह निर्णय बर्वे के लिए राहत का संकेत है और उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

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