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Nagpur

नामांकन से "वंचित" रह गए अनिस अहमद, एक मिनट की देरी और पांच साल का इंतजार


नागपुर: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने का समय समाप्त हो गया है। मंगलवार को आखिरी दिन कई दिग्गजों ने अपना नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस, भाजपा सहित कई बड़े बड़े नेताओं ने चुनाव के लिए अपने पर्चे दाखिल किए। हालांकि, इस दौरान एक नाटकीय घटनाक्रम भी हुआ, जहां टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस छोड़ प्रकाश अंबेडकर की पार्टी में शामिल हुए पूर्व मंत्री अनीस अहमद नामांकन भरने से वंचित रह गए। अहमद तय समय से एक मीन देरी से पहुंचे, जिसके कारण रिटर्निंग ऑफिसर ने उनका नामांकन पत्र लेने से अस्वीकार कर दिया। 

अहमद लगातार कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे थे। वह अपनी पुरानी सीट मध्य नागपुर विधानसभा सीट से टिकट की मांग कर रहे थे। हालांकि, पार्टी ने अहमद की जगह बंटी शेल्के को उम्मीदवार घोषित कर दिया। जिसके बाद अहमद नाराज हो गए और प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई वाली वंचित बहुजन आघाड़ी में शामिल हो गए। जहां अंबेडकर ने उन्हें मध्य नागपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया। 

मंगलवार 29 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन था। भाजपा, कांग्रेस सहित तमाम पार्टियों के उम्मीदवारों के अपना नामांकन दाखिल किया। इसी के तहत अनीस अहमद भी अपना नामांकन दाखिल करने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। हालांकि, नामांकन दाखिल करने का समय 11 से तीन बजे तक था, लेकिन अहमद तीन बज के एक मिनट पर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। नामांकन का समय समाप्त होने के कारण वह अपना पर्चा भरने से वंचित रह गए। करीब चार पांच घंटे तक अहमद रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय के बाहर बैठे रहे, लेकिन समय समाप्त होने के कारण अधिकारी ने उनका नामांकन लेने से इनकार कर दिया। जिसके कारण खाली हाथ अहमद को वापस लौटना पड़ा। 

साजिश का लगाया आरोप
नामंकन दाखिल नहीं करने के पीछे अनीस ने साजिश बताई है। अहमद ने कहा, मैं तय समय के अंदर रिटर्निग ऑफिसर के कैबिन के अंदर था। उन्होंने कहा मै तीन बजे के पहले दरवाजे के अंदर आ गया था। वहीं मेरा प्रतिनिधि दोपहर दो बजे से यहां बैठा हुआ है। वहीं उसे आठ नंबर का टोकन मिला हुआ था। लेकिन उसके बावजूद मुझे फॉर्म भरने नहीं दिया गया। इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है। 

चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म
अनीस अहमद के नामांकन में लेट होने की जैसी ही जानकारी सामने आई चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। अनिस अहमद पूराने नेता है। वह तीन बार के विधायक और मंत्री भी रह चुके हैं। नामांकन किस तरह किया जाता है और उसका समय क्या है वह सब उन्हें अच्छी तरह पता है। लेकिन इसके बावजूद जिस तरह से वह लेट हुए और नामांकन नहीं भर पाए, वह किसी हजम नहीं हो रहा है। चर्चा की मानें तो, एक रणनीति के तहत अहमद ने ऐसा किया गया है।

मुस्लिम वोटों को बटने से रोकना था मकसद
नागरिकों और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चा के अनुसार, अहमद और कांग्रेस पार्टी ने एक रणनीति के तहत यह किया है। एआईएमआईएम यहां से उम्मीदवार न दे सके और पिछली बार की तरह मुस्लिम वोटों में कोई बिखराव न हो इसलिए यह सब किया गया है। चर्चा के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने रणनीती के तहत पहले अहमद से मुस्लिम उम्मीदवार की मांग वाला बयान दिलवाया फिर उन्हें वंचित में शामिल होने का निर्देश दिया। अहमद के मध्य नागपुर से खड़े होने पर ओवैसी की पार्टी ने उन्हें समर्थन का ऐलान किया कर दिया था। जैसे ही एआईएमआईएम ने समर्थन का ऐलान किया, कांग्रेस का मकसद पूरा हो गया और जानबूजकर अहमद ने नामांकन दाखिल नहीं किया।