विदर्भ में महायुति की बंपर जीत, 62 में से 49 सीटों पर किया कब्जा; इन कारणों ने दिलाई प्रचंड जीत

नागपुर: विधानसभा चुनाव में विदर्भ में महायुति की आंधी दिखाई दी। लोकसभा चुनाव में बुरी हार झेलनी वाली महायुति ने इस बार प्रचंड जीत हासिल की है। क्षेत्र की 62 सीटो में से 49 सीट पर गठबंधन की जीत हुई है। जिसमें 39 भाजपा, पांच शिवसेना और चार एनसीपी सहित बडनेरा सीट पर रवि राणा शामिल है। भाजपा की इस प्रचंड जीत के कई कारण सामने आएं हैं। जिसमें लाड़ली बहना योजना, बिजली माफी सहित चुनाव बाद कर्ज माफी का वादा भी शामिल रहा। इन मुद्दों ने जमीन पर महायुति के लिए हवा बदल दी।
छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में महायुति की बड़ी हार हुई थी. प्रदेश की 10 सीटों में से महायुति केवल तीन सीट जीत पाई। इसकी पुनर्वृत्ति न हो इसके लिए संघ मैदान में उतारा। संघ के नेताओं ने अकेले विदर्भ के अंदर 20 हज़ार से ज्यादा बैठकें की। इसी के साथ आम जनता को राहत देने सहित ऐसी योजनाओं को लागू किया गया जिससे जनता को तत्काल राहत मिले। जिसमें लाड़ली बहना योजना प्रमुख रही। योजना के तहत प्रत्येक महिला के खाते में 1500 रुपये जमा किये गये. उन्होंने सरकार आने पर 2100 रुपये देने का वादा किया, जिसका असर हुआ और महायुति को महिलाओं ने बंपर मतदान किया।
इसी के साथ सरकार ने किसानों को कर्ज माफी का भी वादा किया, जिसका असर यह हुआ कि, को किसान फसल का भाव नहीं मिलने से नाराज चल रहे थे वह भी मतदान के दिन महायुति के पक्ष में मतदान करते दिखाई दिए। इन तमाम योजनाओं का लाभ महायुति को मिला और उसे प्रचंड जीत मिली।
2019 में जहां महायुति को 36 सीट से संतोष करना पड़ा था, वहीं इस बार 48 सीटों पर जीत मिली। अकेले भाजपा की 10 सीटें बढ़ी है। रिकॉर्ड बैठक करने के बावजूद महाविकास अघाड़ी की हार हुई. सिर्फ 14 सीटों से संतोष करना पड़ा. 2019 में अकेले कांग्रेस के पास 15 सीटें थीं. इस बार छह कम हुए. कांग्रेस की यशोमति ठाकुर, मानिकराव ठाकरे और प्रहार के बच्चू कडू जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गये।
विदर्भ में इन मुद्दों ने बदला चुनाव:
हिंदू वोट एकजुट, 'आरएसएस' हावी
'बटेंगे तो काटेंगे', 'एक हैं तो सुरक्षित हैं' के नारे के साथ हिंदू एकजुट हुए। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी मैदान में उतरने से बीजेपी को फायदा हुआ। संघ ने छोटी छोटी बैठकें कर हिंदुओ को एक करने सहित भाजपा के पक्ष में लाने का काम किया।
कर्जमाफी से किसानों की नाराजगी दूर हुई
सोयाबीन और कपास की उचित कीमत न मिलने से किसान परेशान थे, लेकिन महायुति के कर्जमाफी और बिजली माफी के वादों ने उन्हें दूर कर दिया है। जिसका नतीजा यह हुआ की जो किसान मतदान के पहले महायुति को वोट नहीं देने की बात कह रहे थे, वह मतदान के दिन उन्हें वोट करते हुए दिखाई दिए।
लाडली बहनों ने भाइयों को जीताया
लाडली बहनों का महायुति को बहुत साथ मिला है। विदर्भ में जीत का सबसे बड़ा कारण यहीं रही। योजना ने न केवल महिलाओं को भाजपा के पक्ष में किया, बल्कि एक प्रचंड जीत हासिल करने का रास्ता भी साफ किया। मतदान के दिन शुरुआत से लेकर अंत तक बूथों पर महिलाओं की भीड लगी रही। मेलघाट जैसे आदिवासी क्षेत्रों में साढ़े आठ बजे रात तक मतदान होता दिखाई दिया।
श्रेणी में अपना अधिकतम वोट डाला और विदर्भ में भारी जीत हासिल की। सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ.

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