मराठा आरक्षण पर ओबीसी नेताओं में मतभेद, छगन भुजबल के आरोप को तायवाड़े ने किया ख़ारिज
नागपुर: राज्य सरकार ने मराठा समाज की सभी मांगे मानते हुए आरक्षण को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार के निर्णय पर ओबीसी नेताओं में दो फाड़ होते दिखाई दे रहे हैं। सरकार में मंत्री छगन भुजबल जहां सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए समाज का आरक्षण से समझौता करने की बात कह रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय ओबीसी संघ प्रमुख बबनराव तायवाड़े ने कहा कि, सरकार के निर्णय से आरक्षण पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
भुजबल की मौजूदगी में रविवार को नासिक में ओबीसी नेताओं की बैठक हुई। भुजबल ने सरकार के फैसले पर नाराजगी और गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि यह मराठाओं को कुनबी सर्टिफिकेट देकर पिछले दरवाजे से ओबीसी में शामिल करने की कोशिश है और उन्होंने इसका विरोध करने की चेतावनी दी।
भुजबल के दावे सही नहीं
वहीं भुजबल के दावों को तायवाड़े ने ख़ारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, "सरकार के फैसले से ओबीसी के साथ कोई अन्याय नहीं हुआ है। सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर पिछले दो दिनों में लिए गए सरकारी फैसलों का अध्ययन किया और फिर अपना पक्ष रखा। सरकार को मिले लाखों अभिलेख (मराठा कुनबियों के) में से 99 प्रतिशत पुराने हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "जिन लोगों के दस्तावेजों पर कुनबी लिखा होता है, उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी करने का कानून है। इसलिए ऐसा नहीं लगता कि सरकार के फैसले से ओबीसी के साथ कोई अन्याय हुआ है. इसलिए भुजबल की स्थिति का समर्थन नहीं किया जा सकता।"
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