logo_banner
Breaking
  • ⁕ महाराष्ट्र में निकाय चुनाव 3 चरणों में संभव, राज्य चुनाव आयोग ने शुरू की तैयारी; जनवरी के आख़िरी सप्ताह में मतदान की संभावना ⁕
  • ⁕ बोर टाइगर रिजर्व के विस्तार को मिली मंजूरी, रिजर्व में 2,328 हेक्टेयर क्षेत्र जोड़ा जाएगा ; 1,122 परिवारों का पुनर्वास, प्रत्येक को 15 लाख रुपये मुआवज़ा ⁕
  • ⁕ 11 नवंबर को तय होगा मनपा चुनावों का आरक्षण, राज्य चुनाव आयोग ने प्रक्रिया की तेज़; महापौर के लिए भी आरक्षण उसी दिन होगा घोषित ⁕
  • ⁕ Amravati: पुलिस पिटाई से आरोपी की मौत, थानेदार सहित 9 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज ⁕
  • ⁕ Buldhana: सामान्य प्रसव के लिए ज़िला सामान्य महिला अस्पताल बना पहली पसंद, इस वर्ष भी बनाया रिकॉर्ड ⁕
  • ⁕ Yavatmal: दो चार पहिया वाहनों के बीच आमने-सामने हुई टक्कर, मुरली मोड़ पर हुई घटना, तीन महिलाएं घायल ⁕
  • ⁕ पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जिला परिषद में की समीक्षा बैठक, विकास कार्यों को जल्दी पूरा करने का दिया निर्देश ⁕
  • ⁕ Gondia: पालक मंत्री इंद्रनील नाइक ने क्षतिग्रस्त हुई धान की फसल का किया निरीक्षण, जल्द पंचनामा करने का दिया आदेश ⁕
  • ⁕ पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने की राज्य सरकार की आलोचना, वोट चोरी को लेकर लगाया गंभीर आरोप ⁕
  • ⁕ Buldhana: शेगांव में जुआ अड्डे पर छापा; 61 लोगों पर मामला दर्ज, 62 लाख रुपये का माल जब्त ⁕
Chandrapur

जोरगेवार बनाम मुनगंटीवार: चंद्रपुर महानगर अध्यक्ष पद पर जोरगेवार गुट की निर्णायक विजय


- पवन झबाड़े
 
चंद्रपुर: भारतीय जनता पार्टी की चंद्रपुर महानगर इकाई के अध्यक्ष पद को लेकर लंबे समय से चल रही गुटबाजी और रस्साकस्सी आखिरकार एक निर्णायक मोड़ पर पहुंची है। दो प्रभावशाली गुट एक ओर वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, तो दूसरी ओर आक्रमक नेता और विधायक किशोर जोरगेवारने इस पद को लेकर पूरी ताकत झोंक दी थी।

दोनों ही गुटों ने अपने-अपने समर्थक कार्यकर्त्यां को अध्यक्ष पद दिलाने के लिए जबरदस्त रणनीतिक मोर्चाबंदी की थी।अंततः जोरगेवार समर्थक सुभाष  कासनगोटूवार को चंद्रपुर महानगर बीजेपी अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी गई है, जबकि मुनगंटीवार समर्थक हरीश शर्मा को दोबारा ग्रामीण जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।

इस नियुक्ति से यह साफ हो गया है कि अब महानगर संगठन पर जोरगेवार गुट का प्रभाव मजबूत हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस बार मामला इतना गर्माया था कि पार्टी को  निरीक्षक भेजकर दोनों गुटों से राय लेनी पड़ी। इस दौरान शक्ति प्रदर्शन भी जमकर हुआ. किस गुट के पास कितने कार्यकर्ता, कैसा जनाधार, किसकी पकड़ मजबूत यह सब कुछ दिखाने की कोशिश की गई। आखिरकार अध्यक्ष पद की माला जोरगेवार गुट के गले में पड़ी, और मुनगंटीवार गुट को महानगर मे पीछे हटना पडा।

अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा का विषय बन गया है कि मुनगंटीवार और उनके समर्थक आने वाले समय में कौन सी रणनीति अपनाते हैं। क्या संगठन के भीतर शांति बनी रहेगी, या यह गुटीय संघर्ष आगे और तीव्र होगा। इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।