Katol Assembly Seat: त्रिकोणीय मुकाबले में कौन मारेगा बाजी, आकड़ो विधानसभा परिणाम रख दिया सामने

नागपुर: जिले की काटोल विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद अलग है। 2019 में पूर्व मंत्री अनिल देशमुख और भाजपा के चरण सिंह ठाकुर के बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें देशमुख को जीत मिली थी। वहीं इस बार यानी 2024 के चुनाव में देशमुख की जगह उनके बेटे सलिल देशमुख मैदान में हैं। वहीं भाजपा ने एक बार फिर ठाकुर पर विश्वास जताते हुए उन्हें चुनावी अखाड़े ने उतारा है। राष्ट्रवादी पार्टी उम्मीदवार जहां अपने पिता के
कामों को लेकर जीत की बात कह रहेहैं, वहीं भाजपा क्षेत्र में बेरोजगारी सहित विकास नहीं होने के मुद्दे पर बदलाव की बात कह रही है।
काटोल विधानसभा सीट जब से बनी है तब से यहां कांग्रेस का कब्ज़ा रहा है, हालांकि, 1995 में यहाँ पहली बार परिवर्तन हुआ। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अनिल देशमुख पहली बार चुनाव जीते और लगातर यहाँ से विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। 1962 से 1990 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही। 1995 से 2014 तक अनिल देशमुख निर्दलीय बाद में एनसीपी की टिकट पर चुनाव जीता। 2014 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां चुनाव जीता। हालांकि, 2019 में अनिल देशमुख एनसीपी की टिकट पर फिर चुनाव जीते
काटोल विधानसभा सीट 2014 से ही लगातार चर्चा में बनी हुई है कारण है यहाँ चाचा और भतीजे की लड़ाई। 2014 के चुनाव में अनिल देशमुख के सामने भाजपा ने उनके भतीजे आशीष देशमुख को उतारा था। चुनाव में भतीजे ने चाचा को पटखनी दे दी। हालांकि, 2019 तक भतीजा भाजपा छोड़ कांग्रेस में लौट आए। 2024 के चुनाव में विधानसभा सीट पर समीकरण पूरी तरह बदल गया है। अनिल देशमुख की जगह उनके बेटे सलिल देशमुख यहाँ से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पूर्व मंत्री उनके लिए वोट मांग रहे हैं। पूर्व गृहमंत्री ने इस बार अपने बेटे की प्रचंड जीत की बात कही है।
काटोल सीट पर भले ही एनसीपी ने अनिल की जगह उनके बेटे सलिल को अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन भाजपा ने पिछली बार चुनाव लड़े चरण सिंह ठाकुर पर भरोसा जताया है। ठाकुर का कहना है कि, इसपिछली बार और इस बार के चुनाव में स्थिति पूरी तरह बदली हुई है। जनता ने 25 साल एक व्यक्ति को मौका देकर देख लिया लेकिन उन्होंने कोई काम नहीं किया। इसलिए इस बार जनता बदलाव के मूड में है और वह होकर रहेगा।
दोनों उम्मीदवार लगातार प्रचार में लगे हुए हैं। आम तौर पर यहां मुकाबला दो उम्मीदवारों के बीच ही होता है लेकिन इस बार यहाँ त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे श्रीकांत जिजकर के बेटे याज्ञवल्क्य जिचकर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। वहीं शेकाप के राहुल देशमुख भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल थोक रहे हैं। विधानसभा में जिचकर की चर्चा भी जोरशोर से हो रही है। आम जनता सहित तमाम दल के नेता यह
कहते हुए सुनाई दे रहे हैं जिचकर के मैदान में उतरने से सबसे ज्यादा नुकसान देशमुख का होगा।
2019 के चुनाव में अनिल देशमुख को 96842 वोट मिले थे। वहीं चरणसिंह ठाकुर को 79785 वोटों से संतोष करना पड़ा। देशमुख ने कुल ,मतदान का 50 प्रतिशत वोट हासिल किया था। दोनों नेताओं के बीच करीब 93 प्रतिशत वोटों का बटवारा हुआ था। देशमुख को 50.96 और ठाकुर को 41.99 वोट हासिल हुए थे।
सत्ता विरोधी लहर और अनिल देशमुख की जगह उनके बेटे सलिल देशमुख के चुनाव लड़ने के कारण भाजपा काफी उत्साहित है। वहीं राज्य की लाड़ली बहन योजना सहित किसान को मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में बदली स्थिति उसके पक्ष में आ सकती है। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी या कहें देशमुख कपास और सोयाबीन की फसल को नहीं मिले रहे दम के मुद्दे को जोरशोर से उठा रहे हैं। उन्हें लगता है जिस तरह लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा काम किया उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी यह काम करेगा। 2024 लोकसभा चुनाव के अनुसार, काटोल विधानसभा में 281,066 मतदाता हैं. इनमें 142501 पुरुष और 138599 महिला मतदाता शामिल है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में इनकी संख्या थोड़ी बढ़ सकती है, जो मतदान करेंगे और अपना विधायक चुनेंगे

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