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Nagpur

विदर्भ की इन सीटों पर अटकी बात, महविकास आघाड़ी में नहीं हो पा रहा सीटों का बंटवारा


नागपुर: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में कुछ दिन ही बचा हुआ है। तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। राज्य की विपक्षी गठबंधन महाविकस आघाड़ी लागतार भाजपा को हारने का दावा कर रही है, लेकिन अभी भी गठबंधन में सीटों का बटवारा नहीं हो सका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विदर्भ की चार सहित राज्य की नौ सीटों को लेकर गठबंधन में सहमति नहीं बन पाई है, तीनों दल इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहते हैं जिसके कारण एक आम सहमति नहीं बन पा रही है।

इन सीटों पर फंसा है पेंच

देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र के अनुसार, महाविकस आघाड़ी में विदर्भ की चार सीटों जिसमें अकोला, रामटेक, गोंदिया भंडारा और वर्धा को लेकर रस्साकशी चल रही है। कांग्रेस, शरद पवार और उबाठा सहित वंचित बहुजन आघाड़ी में इन सीटों को लेकर सामंजस्य नहीं बन पा रहा है।

अकोला:

अकोला लोकसभा सीट बीते चार चुनाव से भाजपा के पास हैं। संजय धोत्रे यहां से लागातार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच रहे हैं। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी गठबंधन में यह सीट मांग रही हैं। हालांकि, प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई वाली वंचित बहुजन आघाड़ी का यह मजबूत गढ़ है। वहीं आंबडेकर यहां से सांसद रहा चुके हैं, इस कारण वह यह सीट छोड़ते को तैयार नहीं है। 

गोंदिया भंडारा:

गोंदिया-भंडारा लोकसभा सीट अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का मजबूत गढ़ रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल यहां से कई बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2014 के बाद से यह सीट भाजपा के पास हैं। वहीं अब एनसीपी के दो भाग होने के कारण यहां स्तिथि बदल गई है। एक तरफ़ शरद पवार यहां से दावा ठोक रहे हैं, वहीं दुसरी तरफ़ कांग्रेस पार्टी भी यहां से चुनाव लडना चाहती है। पार्टी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को यहां से उतारना चाहती है। ज्ञात हो कि, नाना 2014 में भाजपा की टिकट पर यहां से सांसद रह चुके हैं।

रामटेक:

रामटेक लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस और उद्धव गुट के बीच सबसे ज्यादा रस्साकशी दिखने को मिल रही है। एक तरफ़ कांग्रेस के नेता 2014 के पहले का हवाला देकर यहां से अपना उम्मीदवार देने की बात कह रहे हैं, वही दुसरी तरफ़ उद्धव गुट भी यहां से चुनाव लडने की तैयारी में लगा हुआ है। ज्ञात हो कि, यह सीट शिवसेना का गढ़ रहा है। 2014 और 2019 के चुनाव में शिवसेना के कृपाल तुमाने यहां से सांसद चुने गए हैं। हालांकि, पार्टी में टूट के बाद वह शिंदे की अगुवाई वाले धड़े में शामिल है।

वर्धा:

आघाड़ी गठबंधन में वर्धा लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में रहती है। 2014 के पहले यहां से दत्ता मेघे कांग्रेस सांसद रहे हैं। हालांकि, मोदी लहर में वह सीट हार गए। बीते दो चुनाव से भाजपा के रामदास तड़स यहां से सांसद निर्वाचित हो रहे हैं। हालांकि, इस बार स्तिथि बदली हुई है। एक तरफ़ खुद की सीट होने का हवाला देकर कांग्रेस यहां से उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में लगी हुई है, वहीं दुसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती का हवाला देकर राष्ट्रवादी सपा भी यहां प्रयोग करना चाहती है।