logo_banner
Breaking
  • ⁕ मनपा और निकाय चुनावों के लिए भाजपा ने कसी कमर, मुख्यमंत्री फडणवीस-शिवप्रकाश ने संभाली संगठन मज़बूती की कमान ⁕
  • ⁕ Amravati: क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई, 24 हजार मूल्य की 12 अवैध तलवारें जब्त; आरोपी पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज ⁕
  • ⁕ नागपुर सहित विदर्भ में शीत ऋतु की दस्तक, 17 डिग्री सेल्सियस के साथ वाशिम रहा सबसे ठंडा ⁕
  • ⁕ Bhandara:चिल्लर पैसों को लेकर महिला कंडक्टर ने यात्री के साथ की मारपीट; साकोली बस स्टैंड की घटना, वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल ⁕
  • ⁕ स्नातक सीट चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तैयारी की तेज, वरिष्ठ नेता सतेज (बंटी) पाटिल को बनाया विदर्भ विभाग समन्वयक; नागपुर सहित छह जिलों के प्रभारियों के नाम का भी किया ऐलान ⁕
  • ⁕ Bhandara: नगर परिषद चुनाव से पहले भाजपा को झटका, दो पूर्व नगर सेवकों ने समर्थकों सहित थामा शिवसेना का दामन ⁕
  • ⁕ धर्मराव बाबा आत्राम का भाजपा पर बड़ा आरोप, मुझे हराने भतीजे को डमी उम्मीदवार बना किया खड़ा; निकाय चुनाव में गठबंधन साथियों को नहीं देंगे एक भी सीट ⁕
  • ⁕ विदर्भ सहित राज्य के 247 नगर परिषदों और 147 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद का आरक्षण घोषित, देखें किस सीट पर किस वर्ग का होगा अध्यक्ष ⁕
  • ⁕ अमरावती में युवा कांग्रेस का ‘आई लव आंबेडकर’ अभियान, भूषण गवई पर हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ⁕
  • ⁕ Gondia: कुंभारटोली निवासियों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर नगर परिषद पर बोला हमला, ‘एक नारी सबसे भारी’ के नारों से गूंज उठा आमगांव शहर ⁕
Nagpur

महायुति-महाविकास आघाडी दलों की टिकट बंटवारे में महिलाओं से बेरुखी, विदर्भ में सिर्फ 11 महिलाओं को टिकट


नागपुर: राज्य विधानसभा चुनाव में टिकट बटवारा और नामांकन का दौर अब खत्म हो चुका है. दिवाली बाद सभी उम्मीदवार प्रचार के रण में उतर जायेगे। विदर्भ की 62 विधानसभा सीटों में दोनों इस बार प्रमुख गठबंधन से 11 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। महायुति और माविया ने चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को टिकट देने का वादा किया था. लेकिन आखिर में महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी दिखाई।

महाराष्ट्र की मौजूदा 14वीं विधानसभा में कुल 288 विधायकों में से केवल 24 महिला विधायक हैं. इनमे विदर्भ की संख्या महज 4 है. अब जब राज्य एक बार फिर से चुनाव की ओर बढ़ रहा है तो, यहां की राजनीति में महिलाओं की जगह कितनी सशक्त है, इस पर चर्चा जरूरी है. महिलाओं से हमदर्दी रखने वाली सियासी पार्टियां टिकट बंटवारे में इन्ही महिलाओं के साथ बेरुखी करती है.

आकड़ो को देखे तो इस बार विदर्भ की कुल 62 विधानसभा सीटों पर प्रमुख दलों से महज 11 महिलाए ही चुनावी दंगल में है। महायुति में शामिल भाजपा, शिंदे सेना और एनसीपी अजित गट ने चुनाव से पहले लाड़की बहन योजना लाकर महिला वोट बैंक साधने का काम किया है। लेकिन महिला को टिकट देने में पीछे रही.

भाजपा ने श्वेता महल्ले को चिखली से उम्मीदवार दी है. महल्ले 2019 में इसी सीट से जीतकर विधानसभा की दहलीज पार की थी। शिवसेना ने अपने कोटे से भावना गवली को वाशिम जिले की रिसोड सीट से खड़ा किया है. इससे पहले गवली यवतमाल-वाशिम सीट से 5 बार की लोकसभा सांसद रह चुकी है। 

वाशिम जिले से कारंजा सीट से भाजपा ने सई डहाके को उतारा है. सई हाल हाल ही में भाजपा में शामिल हुई है. इस सीट पर उनके खिलाफ एनसीपी शरद गट ज्ञायक पटणी है. अमरावती सीट पर अजित पवार ने सुलभाताई खोडके को खड़ा किया है. भले ही सुलभा ताई का स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ हो. लेकिन राज्य की राजनीति में महिलाओं के मुद्दों और आवाज उठाने में वह विफल रही है. 

दूसरी तरफ, महायुति की तुलना में महाविकास अघाड़ी महिलाओ की टिकट देने की रेस में थोड़ी आगे है. उद्धव सेना ने बुलढाणा सीट से जयश्री शेळके को टिकट दिया है. जहा उनका मुकाबला शिंदे सेना के संजय गायकवाड से है. बुलढाणा जिले की ही जलगाँव जामोद सीट से भाजपा के संजय कुटे मैदान में है. उनके खिलाफ कांग्रेस ने स्वाती वाकेकर को टिकट दिया है। 

अमरावती जिले के तिवसा से कांग्रेस ने यशोमती ठाकूर पर फिर भरोसा जताया है. ठाकुर राज्य और विदर्भ में बड़ी महिला नेता है. पिछली बार की सरकार में वह महिला बाल विकास मंत्री भी रह चुकी है. विधानसभा और बाहर महिलाओं को मुद्दों पर अक्सर वह मुकर रही है। वही, वर्धा जिले की आर्वी सीट से वर्धा के सांसद अमर काले की पत्नी मयूरा काले, नागपुर जिले की सावनेर सीट पर सुनील केदार की पत्नी अनुजा केदार, भंडारा सीट से कांग्रेस की पूजा ठवकर  मैदान में है. जबकि गडचिरोली जिले की अहेरी में पिता धर्मरावबाबा आत्राम के खिलाफ शरद पवार ने उनकी ही बेटी भाग्यश्री आत्राम उम्मीदवारी दी है. 

दोनों ही प्रमुख गढ़बंधनो में शामिल दलों ने चुनाव घोषणा से पहले जमकर महिलाओ के मुद्दों को उठाया था. और विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक महिलाओं को टिकट देने का भरोसा भी दिया था. हालांकि, राजनीतिक नेताओं के बयान बाजी केवल आधी आबादी को खुश करने की होती है. लेकिन टिकट सूची जारी होने के बाद ये आकड़े बताते है की दोनों गठबंधनों की कथनी और करनी में फर्क है।