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Nagpur

Congress Foundation Day: राजनीतिक आखड़े का केंद्र बना नागपुर, संघ भूमि से देश को बड़ा संदेश देने का प्रयास


नागपुर: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने में अभी केवल कुछ दिनों का समय बचा हुआ है। देश की तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरु कर दी है। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक दल कांग्रेस ने 28 दिसंबर को अपना आधिकारिक चुनाव अभियान शुरू करने वाली है। कांग्रेस स्थापना दिवस के मौके पर नागपुर में बड़ी सभा करने वाली है। जिसमें पार्टी के शीर्ष नेता नागपुर पहुंचने वाले हैं। इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका सहित तमाम बड़े नेताओं का नाम शामिल हैं। कांग्रेस की इस राष्ट्रीय सभा के कारण नागपुर एक बार फिर चुनावी अखाड़े का केंद्र बन गया है।

नागपुर की पहचान के कारणों से हैं, जिसमें तीन प्रमुख और विश्व प्रसिद्ध कारण ऑरेंज सिटी होना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय होना और देश का जीरो माइल का यहां होना है। हालांकि, बीते कई सालों से जिले की चर्चा संघ और भारतीय जनता पार्टी के कारण होती है। वर्तमान का विपक्ष केंद्र सरकार या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के लिए नागपुर का जिक्र करना नही भूलता है। वह सरकार पर नागपुर के इशारे पर काम करने की बात करता रहा है। 

28 दिसंबर 1885 को कांग्रेस की स्थापना हुइ थी। इस समय कांग्रेस की स्थापना का मुख्य कारण अंग्रेजी से देश को मुक्ति दिलाना था। वहीं आजादी के बाद कांग्रेस देश की प्रमुख राजनीतिक दल बन गई। संघ की स्थापना कांग्रेस के गठन के लगभग 40 बाद हुआ। कभी कांग्रेस के सदस्य रहे बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में संघ की स्थापना की। 

संघ मुख्यालय होने के बावजूद कांग्रेस का मजबूत गढ़

नागपुर में भेल ही संघ मुख्यालय हो लेकिन अगर राजनीतिक तौर पर बात करें तो भाजपा या तत्कालीन जनसंघ का मजबूत गढ़ नहीं रहा। नागपुर आजादी के बाद से ही कांग्रेस के साथ रहा। आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव इंदिरा गांधी को जहां देशभर में हार का सामना करना पड़ा वहीं नागपुर सहित विदर्भ में उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई थी। वो भी तब जब आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने संघ से जुड़े हुए तमाम नेताओं को जेल में डाल दिया था। हालांकि, 2014 के बाद से कांग्रेस देश सहित विदर्भ में पिछड़ती जा रही है। लोकसभा हो या ग्राम पंचायत कांग्रेस को हार का सामना करना पड रहा है। 

2019 से कांग्रेस की स्थिति में सुधार

एक समय कांग्रेस का गढ़ रहा नागपुर वर्तमान में भाजपा के मजबूत गढ़ के रूप में जाना जाता है। 2014 के बाद हुई तमाम चुनाव में यहां भाजपा को जीत मिली है। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में स्थिति बदली। इस चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी ने विदर्भ में जोरदार वापसी करते हुए विदर्भ की 23 सीटों पर जीत हासिल की। जिसमें नागपुर जिले की पांच सीट भी शामिल है। विधानसभा चुनाव के बाद लगातार भाजपा को हार और कांग्रेस को जीत मिली है। जिला परिषद् का चुनाव हो या विधान परिषद् का चुनाव कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है। 

संघ भूमि में ताकत दिखा बड़ा संदेश देने का प्रयास 

कांग्रेस की जब जब नागपुर में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम हुआ है। तब-तब वह एक बड़ी ताकत के तौर पर उभरी है। वहीं 2019 के बाद से जिस तरह कांग्रेस विदर्भ में अपनी पुरानी जमीन पाने में कामयाब होते दिखाई दे रही है। उसी को देखते हुए कांग्रेस ने अपना 139वां स्थापना दिन मनाने का निर्णय लिया है। एक तरफ जहाँ कांग्रेस का पुराना अनुभव है, वहीं दूसरी तरफ संघ भूमि पर शक्ति प्रदर्शन कर कांग्रेस देश में बड़ा संदेश देने का प्रयास है।