स्वच्छ सर्वेक्षण में फिर पिछड़ा नागपुर, 10 लाख+ आबादी वाले शहरों में सिर्फ 27वां स्थान; पिछले साल की तुलना में मात्र एक स्थान का सुधार

नागपुर: स्वच्छ सर्वेक्षण (Clean India) में नागपुर (Nagpur) फिर एक बार पिछड़ गया है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 (Swachh Sarvekshan 2024-25) के परिणाम घोषित किये, जिसमें नागपुर को 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में 27वां स्थान प्राप्त हुआ। पिछले साल यानी 2023-24 में नागपुर 28वें स्थान पर था। यानी एक साल में स्वच्छता के प्रयासों का परिणाम सिर्फ एक पायदान की बढ़त के रूप में सामने आया है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के प्रमुख शहरों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए 2016 में स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान की शुरुआत की थी। भारत सरकार द्वारा चलाया जाने वाला एक वार्षिक राष्ट्रीय अभियान है, जिसका उद्देश्य देशभर के शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और जनसहभागिता के स्तर को मापना और उसका मूल्यांकन करना है। हर साल केंद्र सरकार अभियान का परिणाम घोषित करता है।
इंदौर ने फिर मारी बाजी
इसी के तहत आज नई दिल्ली में सर्व सर्वेक्षण 2024 के परिणाम घोषित किया। जिसमें हर बार की तरह इस बार भी 10 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले टॉप 40 शहरों की श्रेणी में इंदौर ने पहला स्थान हासिल किया। वहीं पिछली बार पांचवें स्थान पर रहे भोपाल ने दूसरा स्थान हासिल किया। वहीं इस प्रतियोगिता नागपुर ने 27वां स्थान हासिल किया है। बीते वर्ष नागपुर को 28वां स्थान मिला था। यानी की पिछले साल के मुकाबले में इस बार मात्र एक साथ था सुधार हुआ है।
कचरा मुक्त शहर में मिली शुन्य रेटिंग
एक समय नागपुर देश के सबसे साफ़ सुथरे शहर की श्रेणी में गिना जाता था। क्लीन और ग्रीन सिटी के लिए नागपुर को कई उपहार भी मिले थे। लेकिन पिछले एक दशक से नागपुर लगातार स्वच्छता में पिछड़ता जा रहा है। नागपुर महानगर पालिका नागपुर को स्वच्छ और सुन्दर बनने के लिए सैकड़ो योजनाओं के चलाने की दावा करती है। लेकिन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार में नागपुर कचरा मुक्त शहर (जीएफसी) रेटिंग में एक भी स्टार हासिल करने में विफल रहा। यह वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रसंस्करण, पारंपरिक अपशिष्ट प्रबंधन और स्रोत पृथक्करण में जनभागीदारी में गंभीर कमियों को दर्शाता है।
नवी मुंबई और चिंचवाड़ का शानदार प्रदर्शन
नागपुर ने खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) श्रेणी के अंतर्गत अपना वाटर+ प्रमाणन बरकरार रखा है, जिसका मुख्य कारण उपचारित सीवेज के पुन: उपयोग और सार्वजनिक शौचालयों की पर्याप्त उपलब्धता से जुड़ी पहल है। हालाँकि, उन्नत वाटर प्रमाणन के लिए शहर का आवेदन अस्वीकार कर दिया गया, जिससे संकेत मिलता है कि यह उन्नत स्थिति के लिए आवश्यक उच्च मानदंडों को पूरा करने में विफल रहा। वहीं महाराष्ट्र के अन्य शहरों की बात करें तो नवी मुंबई ने चौथा, पिंपरी चिंचवाड़ ने सातवा , पुणे ने आठआठवा, ठाणे 15, नासिक 22 और कल्याण डोंबिवली ने 24वां स्थान हासिल किया है।

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