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Nagpur

नामांकन के बाद अब जाँच-पड़ताल भी शुरू, पांडे ने खोपड़े पर लगाया जानकारी छुपाने का आरोप


नागपुर: विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन भरने की प्रक्रिया के पूरा हो जाने के बाद बुधवार से आवेदनों की जाँच पड़ताल का काम शुरू हुआ। इसके साथ ही शुरू हो गया उम्मीदवारों का एक दूसरे के एफिडेविट में दी जाने वाली जानकारी को लेकर सवाल उठाये जाने का क्रम भी। एफिडेविट में प्रतिद्वंदी उम्मीदवार दी गयी जानकारी को लेकर उम्मीदवार एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे है, शिकायत कर रहे है।

महाराष्ट्र में हो रहे विधानसभा चुनाव की रस्साकशी शुरू हो गयी है, उम्मीदवारों के नामांकन के बाद चुनाव का रोमांच बढ़ गया है। नामांकन के साथ उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति समेत अन्य जानकारियां एफिडेविट के माध्यम से जमा कराई है। जो पब्लिक डोमेन में आ चुकी है. चुनाव में असली लाडली भले ही मतदान के दिन हो लेकिन हमले अभी से शुरू हो गए है. उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के एफिडेविट में दी गयी जानकारी के आधार पर एक दूसरे पर हमला बोल रहे है.

पूर्व नागपुर सीट पर महायुति से बगावत कर कृष्णा खोपड़े के खिलाफ चुनाव लड़ रही आभा पांडे लगातार हमलावर है. खोपड़े का एफिडेविट क्या सार्वजनिक हुआ. पांडे ने खोपड़े पर आयोग के नियमों की दलीलें देते हुए गलत तरीके से फॉर्म भरने की जानकारी दी. और इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। आभा पांडे ने खोपड़े के नामांकन को लेकर चुनाव अधिकारी के पास शिकायत भी की लेकिन दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अधिकारी ने आभा को झटका देते हुए उनकी अपील को निरस्त कर दिया। .आयोग से झटका मिलने के बाद भी आभा अडी हुई है. उन्होंने अधिकारी के निर्णय के विरोध में अदालत जाने की जानकारी दी है. 

पांडे की शिकायत पर कृष्णा खोपड़े वकीलों की फौज से साथ चुनाव अधिकारी के सामने पहुंचे। अधिकारी ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद पांडे की अप्पत्ति के ख़ारिज हो जाने के बाद खोपड़े भी हमलावर हो गए उन्होंने उनका नामांकन चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार भरे जाने की बात कही और कहा की आभा पांडे सिर्फ प्रसिद्धि पाने के लिए ऐसा कर रही है. 

इस बार विधानसभा चुनाव में नेताओं के आपसी टशन की चर्चा जोरों पर है. पश्चिम नागपुर सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के विकास ठाकरे और निर्दलीय प्रत्याशी नरेंद्र जिचकार का टकराव तो प्रसिद्ध है. जो इस चुनाव में नामांकन से पहले और बाद में भी दिखाई दे रहा है. विकास ठाकरे के एफिडेविट को लेकर जिचकार की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गयी थी. ये आपत्ति विकास ठाकरे की पत्नी के नाम से दो खुले भूखंड की जानकारी छुपाये जाने को लेकर थी। इस आपत्ति पर चुनाव अधिकारी ने सुनवाई की और संपत्ति के दस्तावेज प्रस्तुत होने के बाद आपत्ति को ख़ारिज कर दिया गया। 

दूसरी तरफ जिचकार पर सीधे तौर पर विकास ठाकरे की ओर से तो आपत्ति दर्ज नहीं कराई गयी. लेकिन इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजेश भोपाले ने जिचकार के एफिडेविट में दी गयी जानकारी लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। राजेश भोपाले द्वारा की गयी शिकायत पर चुनाव अधिकारी ने  जिचकार की ओर से जवाब माँगा है। जिचकार के खिलाफ जो आपत्ति दर्ज कराई गयी है उसमे आयोग के नियम 9 (A ) को आधार बनाया गया है। 

इस सेक्शन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के पद गवर्मेंट का कोई कॉट्रेक्ट है तो वो चुनाव लड़ नहीं सकता। इस आपत्ति में कहा गया है की जिचकार की कंपनी जो सरकारी काम करती है उसके 50 प्रतिशत शेयर अब भी जिचकार के पास ही है। साथ ही गवर्मेंट के  कॉन्ट्रेक्ट में जो काम हो रहे है उसके वाहन अब भी जिचकार के नाम पर है। भोपाले की अपील में इसे नियमों का उल्लंघन बताते हुए जिचकार के नामांकन को रद्द किये जाने की मांग की गयी है.


जो शिकायत हुई है उसमे वर्ष 2014 में सावनेर से भाजपा के प्रत्याशी रहे सोनबा मूसबे के केस  का उदाहरण दिया गया है. इस आपत्ति पर गुरुवार को सुनवाई होनी है.बहरहाल चुनाव का रंग पूरी तरह से जम गया है और प्रतिद्वंदी उम्मीदवार एक दूसरे के रास्ते में हार के कांटे बिछाने के लिए किसी तरह की कोर कसर बांकी रखने नहीं देना चाहते।