साईबाबा ने सरकार पर लगाया लोगों की आवाज दबाने का आरोप, कहा- अल्पसंख्याक, आदिवासी और दलितों की बात करता रहूँगा
नागपुर: माओवादियों से संबंध और देश विरोधी काम करने के मामले में बरी होने के बाद गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफ़ेसर साईबाबा जेल से बाहर निकले। बाहर आते ही साईबाबा ने सरकार को निशाने पर लिया और आम जनता की आवाज दबाने का आरोप लगाया। साईबाबा ने कहा कि, "दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यक की आवाज उठाने के कारण उन्हें 10 साल जेल में बंद रखा गया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, वह लगातार आवाज उठाते रहेंगे।"
जेल से छूटने के बाद साईबाबा ने नागपुर में पत्रकारों को संबोधित किया। जहां बोलते हुए यह बात कही। पूर्व प्रोफ़ेसर ने कहा कि, "वंचितों, दलितों और आदिवासियों की बात करने और उनके लिए काम करने पर मुझे जेल में डाल गया। दस साल तक मुझे जेल में रहना पड़ा। जब मैं जेल गया उस समय स्वस्थ्या था, लेकिन आज कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित हूँ। तमाम रिपोर्ट के बावजूद डॉक्टरों ने इलाज क्यों नहीं किया? यह मुझे समझ नहीं आया।"
साईबाबा ने आगे कहा कि, "मानवधिकार के लिए काम करने की कीमत मुझे 10 साल जेल के रूप में बितानी पड़ी। आज भले में मैं बाहर आ गया हूँ, लेकिन जो साल मेरे जेल में गए उसे कौन लौटाएगा? मुझे उस समय गिरफ्तार किया गया, जब मैं अपने शिक्षक के क्षेत्र में सबसे ऊंचाई पर था। इस कारण मेरा शिक्षक करियर भी बर्बाद हो गया।"
नहीं लडूंगा लोकसभा चुनाव
आगामी लोकसभा चुनाव के सवाल पर पूर्व प्रोफ़ेसर ने कहा कि, "मै चुनाव नहीं लडूंगा। मैं एक शिक्षक हूँ और जीवन भर शिक्षक रहूँगा। हालांकि, मैं अल्पसंख्यक, आदिवासी और दलितों की बात करता रहूँगा और उनकी आवाज उठता रहूंगा।"
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